
इसराइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज ने साफ कर दिया है कि ग़ज़ा पर इसराइली हमले किसी भी बातचीत से नहीं रुकेंगे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा:
“मैंने सेना को सभी ठिकानों पर कार्रवाई जारी रखने का निर्देश दिया है, चाहे बातचीत हो रही हो या नहीं।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से हिरासत तक: शर्मिष्ठा की पोस्ट या प्रोपेगैंडा?
उनका कहना है कि IDF अब हवा, ज़मीन और समुद्र—तीनों दिशाओं से फुल-पावर मोड में है। उन्होंने दो टूक कहा:
“या तो हमास बंधकों को छोड़े, या फिर पूरी तरह से तबाह हो जाए।”
रफ़ाह में मचा हाहाकार: 31 की मौत, IDF को ‘कोई जानकारी नहीं’?
इस बयान से कुछ ही घंटे पहले हमास-शासित स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया कि रफ़ाह इलाके में एक अमेरिकी फंडेड राहत केंद्र के पास हुए इसराइली हमले में 31 लोगों की मौत हुई है।
वहीं दूसरी ओर, IDF ने अपना रूटीन डायलॉग दोहराया —
“हम गोलीबारी से हुए नुकसान की जांच कर रहे हैं। अभी कुछ कह नहीं सकते।”
क्या ये जांच हथियार शांत होने तक चलेगी?
बम, बयान और बंधक — किसकी चलेगी?
दुनिया बातचीत की उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन इसराइल का रुख साफ है — “Action first, negotiation later.”
जब रक्षा मंत्री खुद कह रहे हैं कि बातचीत के बावजूद हमले जारी रहेंगे, तब राजनीतिक समाधान का रास्ता बचता कहाँ है?
इसराइल-ग़ज़ा संघर्ष अब महज़ राजनीतिक या सामरिक नहीं, बल्कि मानवता के टेस्ट केस में बदल गया है।
जब दोनों ओर बम ज़मीन पर और बयान सोशल मीडिया पर गिर रहे हों — तब सबसे बड़ा सवाल ये है-बंधक पहले छूटेंगे, या उम्मीदें?
26 साल की कानूनी जंग: अमेरिकी नागरिक ज्योति बनाम ठाणे-मुंबई पुलिस और CBI