
आजकल ‘रिल्स’ बनाने का ट्रेंड इतना खतरनाक हो चला है कि लोग ब्रेक और एक्सीलेटर में फर्क करना भूल गए हैं। कुछ ऐसा ही हुआ लखनऊ के गोमती नगर में, जहां शुक्रवार को एक युवक रील बनाते-बनाते सीधे अपनी कार समेत नाले में उतर गया।
रडार से बाहर, रिस्पॉन्स के अंदर – शाह का पाक को करारा तमाचा
रील बनाते समय दबाया ब्रेक, लेकिन उड़ गई कार की ‘फीलिंग’
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, युवक लोहिया चौराहे पर तेज रफ्तार में कार चला रहा था और साथ ही फोन कैमरे से खुद को फिल्मा भी रहा था।
जब चौराहे पर ब्रेक लगानी थी, शूटिंग के हीरो साहब ने एक्सीलेटर दबा दिया – और फिर क्या था?
“रील में सुपरस्टार बनने चला था, रियल में नाले का रेस्क्यू मिशन बन गया!”
फोन, फेस और फोकस – तीनों का संतुलन बिगड़ा और संतुलन बिगाड़ दिया
हमारे देश में अब गाड़ी चलाना नहीं, ‘कंटेंट क्रिएशन ऑन द रोड’ चल रहा है। ट्रैफिक लाइट देखनी नहीं होती, लाइटिंग सेट करनी होती है।
सड़क को लोकेशन और स्टीयरिंग को स्टेबलाइज़र मान लिया गया है।
पुलिस आई, युवक को निकाला – लेकिन सबक नहीं निकला
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को अस्पताल पहुंचाया। हालत फिलहाल सामान्य है।
इंस्पेक्टर ने बताया,
“हादसा लापरवाही से हुआ है। युवक रील बनाते समय ध्यान नहीं दे पाया।”
लेकिन सवाल उठता है –
अब क्या ‘ड्राइविंग लाइसेंस’ के साथ ‘रीलिंग सेंस’ की भी परीक्षा होनी चाहिए?
ड्राइविंग या ड्रामा? सड़क बन चुकी है सोशल स्टेज
आज की युवा पीढ़ी के लिए कार अब गाड़ी नहीं रही – ‘मोबाइल ट्राइपॉड’ बन चुकी है।
इंस्टाग्राम पर लाइक्स और कमेंट्स के लिए लोग अपनी और दूसरों की जान को दांव पर लगा रहे हैं।
“नाले में गिरे हो, पोस्ट में नहीं – अब समझ जाओ ब्रो!”
वायरल बनने के चक्कर में वेंटिलेटर तक न पहुंच जाएं!
रील बनाना गलत नहीं है, लेकिन ज़िंदगी को कैप्शन में डालना और हेलमेट को छोड़ देना, यही दिक्कत है।
अगर अब भी समय रहते नहीं चेते, तो अगली रील का टाइटल शायद हो:
“Last Reels Before the Fall!”
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