
कोविड-19 वायरस एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार ज़िम्मेदार हैं दो नए सब-वैरिएंट — NB.1.8.1 और LF.7, जो कि ओमिक्रॉन के म्यूटेशन हैं। भारत सहित कई देशों में इनके मामले अचानक बढ़े हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 को Variant Under Monitoring की श्रेणी में डाल दिया है, जिसका अर्थ है कि इस पर अब निगरानी और विश्लेषण बढ़ा दिया गया है।
मशीनें तो चल रही हैं, पर ग्रोथ की रफ्तार थम गई है!
भारत में स्थिति: एक्टिव केस 1000 के पार
27 मई 2025 के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में 1010 एक्टिव केस हैं और 6 मौतें दर्ज की गई हैं। 19 मई से अब तक 753 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं। हालाँकि स्थिति नियंत्रण में मानी जा रही है, लेकिन विशेषज्ञ संक्रमण की प्रकृति को लेकर सतर्क हैं।
कौन हैं ये नए वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7?
Yale Medicine की रिपोर्ट के अनुसार, ये वैरिएंट JN.1 स्ट्रेन (जिसे ‘पिरोला’ भी कहा जाता है) के सब-वैरिएंट्स हैं। इनका स्पाइक प्रोटीन बदला हुआ है, जिससे ये वैरिएंट संक्रमण फैलाने में अधिक सक्षम हैं और प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की क्षमता रखते हैं।
यही कारण है कि पहले से वैक्सीनेटेड लोग भी संक्रमित हो रहे हैं।
इस बार लक्षण क्या अलग हैं?
इस बार के वैरिएंट में गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं, पर तेजी से फैलने वाला संक्रमण जरूर है। लक्षणों में शामिल हैं:
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लगातार खांसी
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गले में खराश
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सिरदर्द और थकान
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भूख न लगना
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दिक्कतें
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हल्का बुखार
सांस की दिक्कत या ऑक्सीजन की जरूरत के मामले फिलहाल नहीं हैं।
वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग का मतलब क्या है?
WHO द्वारा किसी वैरिएंट को Variant Under Monitoring (VUM) घोषित करने का मतलब होता है कि इसमें संभावित खतरे के संकेत हैं, लेकिन अभी तक वह इतना गंभीर नहीं है कि उसे Variant of Concern माना जाए। इस फैसले से यह स्पष्ट है कि दुनिया भर में इसकी ट्रैकिंग और रिसर्च तेज़ कर दी गई है।
क्या अब फिर वैक्सीन जरूरी है?
पहले की तरह फिर से बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है, लेकिन जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है या कोमॉर्बिड कंडीशन है, उन्हें सावधानी और निगरानी की ज़रूरत है। डॉक्टर नियमित मास्क पहनने और भीड़ से बचने की सलाह दे रहे हैं।
घबराने की नहीं, सतर्क रहने की जरूरत है
यह सच है कि नए वैरिएंट्स के केस बढ़ रहे हैं, पर अब हमारी स्वास्थ्य प्रणाली पहले से तैयार है। हालात डेल्टा जैसी लहर से काफी अलग हैं। वैज्ञानिक और मेडिकल कम्युनिटी अलर्ट पर हैं, और अब तक कोई जानलेवा प्रभाव सामने नहीं आया है।
वायरस बदला है, पर अब हम भी तैयार हैं
NB.1.8.1 और LF.7 से संक्रमण की रफ्तार जरूर बढ़ी है, पर लक्षण हल्के हैं और ज्यादातर लोग बिना अस्पताल जाए ठीक हो रहे हैं। WHO का अलर्ट इस दिशा में एक सतर्कता का संकेत है, न कि भय का। मास्क, साफ-सफाई और सतर्कता ही हमारी सबसे बड़ी वैक्सीन है।