
“हां मैं लड़की हूं, लेकिन वाई-फाई की तरह – अगर पासवर्ड सही नहीं डाला तो कनेक्शन नहीं मिलेगा!“
जब लड़का मुंह देखने आए, तो चाय के साथ जुबान भी चलाइए!
पहली मुलाकात में लड़के से सिर्फ ये पूछना कि “क्या करते हो?” पुराना हो चुका है। अब समय है उनके दिमाग का नेटवर्क चेक करने का। जो सोचते हैं “लड़की नाजुक होती है, समझौतों के लिए बनी है” — उन्हें पहली ही मुलाकात में ब्लूटूथ से नहीं, ब्लंट ट्रुथ से जोड़िए।
‘दिमाग़दार’ सवाल:
1. “आपको क्या लगता है, लड़की के करियर और शादी में से कौन ज्यादा जरूरी होता है?”
अगर जवाब में ‘समझौता’ हो, तो समझिए नेटवर्क वीक है।
2. “घर के काम में मदद करते हैं या ‘पुरुषत्व’ से परे नहीं जा पाते?”
जो खाना नहीं बना सकता, वो भविष्य भी नहीं पका सकता।
3. “ससुराल में बहू को बेटी समझने वाले हैं या bonus domestic help?”
ड्राइंग रूम में रेस्पेक्ट और किचन में रोटियाँ – दोनों बराबर चाहिए।
थोड़ा तंज, थोड़ा टशन:
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“नाजुक हूं लेकिन Excel से लेकर Ex तक सब संभाल सकती हूं।”
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“Emotions हैं, पर इस्तेमाल भी आता है। म्यूज़ियम का आइटम नहीं हूं जो सिर्फ शो-केस में रखो!”
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“अगर लड़की हंसी तो छेड़ने की कोशिश? भाई, सिग्नल नहीं GPS की recalibration थी!”
ज्ञान की गोली
पुरुष कहे | जवाब |
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“तुमसे ये सब कैसे होगा?” | “जैसे तुम्हारी सोच नहीं बदली, वैसे ही मेरी हिम्मत भी नहीं रुकी!” |
“तुम बहुत बोलती हो!” | “शुक्र है! कम से कम बोलने से पहले सोचती हूं!” |
“घर संभाल पाओगी?” | “घर क्या, अगर तुम ठीक निकले तो तुम्हें भी संभाल लूंगी!” |
और याद रखें:
पहली मुलाकात, पहला इंप्रेशन नहीं — पहला क्लियरेंस टेस्ट है।
जहां आपके जवाबों से तय होता है कि सामने वाला सिर्फ शादी चाहता है, या सम्मान के साथ साझेदारी।
पूछने का स्टाइल भी हो थोड़ा तेवर वाला:
“आपको नारीवाद से डर तो नहीं लगता? क्योंकि मुझे पितृसत्ता से एलर्जी है!“
“फोटो में मुस्कुरा रहे हो, पर असल में महिलाओं को बराबरी देने की हिम्मत है?“
“हां, लड़की हूं… लेकिन कोई ‘fragile’ सामान नहीं, जो ‘handle with care’ लिखा हो!”
पहली मुलाकात हो या जिंदगी की शुरुआत — अगर बातों में तेवर नहीं, तो समझ लीजिए शादी के बाद रोल रिवर्सल नहीं, रोल डिलीट हो जाएगा।