आईएनएस विक्रांत: पहलगाम हमले के बाद क्यों बढ़ी इसकी रणनीतिक अहमियत?

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए चरमपंथी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस स्थिति में भारतीय नौसेना द्वारा अरब सागर में किए गए सैन्य अभ्यास और आईएनएस विक्रांत की सक्रियता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत है और इसकी तैनाती अब एक रणनीतिक संकेत मानी जा रही है।

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आईएनएस विक्रांत की खासियतें

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अनुसार, आईएनएस विक्रांत निम्नलिखित विशेषताओं से लैस है:

  • लंबाई: 262 मीटर

  • डिस्प्लेसमेंट: 45,000 टन

  • अधिकतम गति: 28 नॉट्स

  • लागत: ₹20,000 करोड़

  • विमान क्षमता: 30 लड़ाकू विमान जैसे मिग-29के, एमएच-60आर हेलिकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर आदि

  • डेक और कमरे: 18 डेक, 2400 कमरे, 1600 सैनिकों की क्षमता

  • ऑटोमेशन: पूरी तरह ऑटोमेटेड सिस्टम और महिला अधिकारियों के लिए अलग कक्ष

रणनीतिक भूमिका और तैनाती

आईएनएस विक्रांत की तैनाती का उद्देश्य भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास अब दो विमानवाहक पोत (विक्रमादित्य और विक्रांत) हैं, जिससे वह हिंद महासागर और अरब सागर में अधिक प्रभावशाली मौजूदगी दर्ज कर सकता है।

चेन्नई यूनिवर्सिटी के डिफेंस एक्सपर्ट थिरुनावुक्करसु कहते हैं,

“यह जहाज़ तैरता हुआ एयरबेस है, जो किसी भी हमले का जवाब तेज़ी से और बिना किसी विदेशी मदद के दे सकता है। पाकिस्तान के पास ऐसा कोई पोत न होने से भारत को रणनीतिक बढ़त मिलती है।”

इतिहास और गौरव

1971 के भारत-पाक युद्ध में भी एक पुराने आईएनएस विक्रांत ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में निर्णायक भूमिका निभाई थी। नए विक्रांत का नाम भी उसी सम्मान में रखा गया है, जिसे 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था।

क्या युद्ध की तैयारी है?

पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल त्यागराजन का मानना है कि यह समय किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार रहने का है।

“यदि पाकिस्तान से हमला होता है तो भारत को उससे पहले जवाब देने का हक है। आईएनएस विक्रांत इस जवाब का एक प्रमुख आधार बन सकता है।”

आईएनएस विक्रांत न केवल भारत की नौसैनिक शक्ति का प्रतीक है बल्कि एक संदेश भी है – कि भारत अब रक्षा में आत्मनिर्भर है और किसी भी खतरे का मुकाबला करने को पूरी तरह तैयार है। पहलगाम हमले के बाद इसकी तैनाती इस दिशा में एक बड़ा कदम है।

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