
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गहराया, उसी समय भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। भारत और फ्रांस के बीच ₹64,000 करोड़ की लागत से राफेल मरीन (नौसेना संस्करण) डील पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत 26 राफेल मरीन जेट विमानों की आपूर्ति फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा की जाएगी।
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INS विक्रांत को मिलेगा अत्याधुनिक एयर आर्म
इन लड़ाकू विमानों की तैनाती भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर की जाएगी। यह कदम भारतीय नौसेना की क्षमता को व्यापक रूप से बढ़ाएगा, विशेषकर हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती समुद्री गतिविधियों के बीच।
“यह केवल डील नहीं, एक रणनीतिक साझेदारी है,” – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान कहा।
डील का इतिहास और मंजूरी प्रक्रिया
जुलाई 2023: रक्षा मंत्रालय ने गहन मूल्यांकन के बाद डील को प्रारंभिक मंजूरी दी थी।
अप्रैल 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली CCS (Cabinet Committee on Security) ने अंतिम स्वीकृति दी।
डिजिटल माध्यम से हस्ताक्षर: समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांसीसी अधिकारियों की वर्चुअल उपस्थिति रही।
क्या-क्या मिलेगा इस डील में?
26 राफेल मरीन जेट विमान
आधुनिक हथियार प्रणाली
रख-रखाव और कलपुर्जे
टेक्निकल और लॉजिस्टिक सपोर्ट
वितरण कब से?
इस इंटर-गवर्नमेंटल एग्रीमेंट के अनुसार, डिलीवरी प्रक्रिया 2029 से शुरू होगी।
विमान अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होंगे और भारतीय नौसेना की ज़रूरतों के अनुसार अनुकूलित होंगे।
भारत-फ्रांस रक्षा संबंध: भविष्य की साझेदारी
यह डील भारत और फ्रांस के बीच एक मजबूत रक्षा गठजोड़ का प्रमाण है। पहले भी भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल जेट खरीदे थे, और अब समुद्री सुरक्षा को सशक्त बनाने के लिए यह नई डील हुई है।
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जहां एक ओर देश आतंकी हमलों से सुरक्षा की मांग कर रहा है, वहीं राफेल मरीन डील यह संदेश देती है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक रणनीति की ओर बढ़ रहा है। INS विक्रांत पर राफेल मरीन की तैनाती आने वाले वर्षों में भारत की समुद्री प्रभुता को और मजबूत करेगी।