ठंड में गर्म बयान! Codeine Case पर Yogi-Akhilesh आमने-सामने

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस वक्त ठंड सिर्फ मौसम में है, बयानों में नहीं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले सत्ता और विपक्ष के बीच verbal war अपने peak पर पहुंच चुका है। मुद्दा है—कोडीन कफ सिरप की अवैध तस्करी, लेकिन बहस उससे कहीं आगे निकल चुकी है। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव। दोनों के शब्दों में न सिर्फ आरोप हैं, बल्कि political sarcasm की धार भी साफ दिख रही है।

Codeine Syrup Case: दवा या दलाली?

Codeine Phosphate technically एक controlled medicine है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह मुद्दा अब law and order से निकलकर political accountability तक पहुंच चुका है। सरकार का दावा है कि दवा की आड़ में नशे का पूरा नेटवर्क चल रहा था, जिसमें सफेदपोशों की भूमिका की भी जांच हो रही है। और यहीं से शुरू होता है सियासी तूफान।

CM Yogi का सीधा वार: “माफिया का DNA सपा से जुड़ा”

विधानसभा सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोई घुमा-फिराकर बात नहीं की। उन्होंने साफ कहा कि “प्रदेश में जितने भी बड़े माफिया रहे हैं, उनका connection किसी न किसी रूप में समाजवादी पार्टी से रहा है।”

Codeine syrup case को लेकर योगी सरकार का दावा है कि STF और पुलिस की initial findings में जिन अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है, उनके सियासी तार सपा से जुड़े पाए गए हैं। बयान सख्त था, लेकिन असली punchline आई शायरी के साथ।

वो शेर, जो बयान से ज़्यादा बोला

मुख्यमंत्री योगी ने मंच से पढ़ा—“यही कसूर मैं बार-बार करता रहा, धूल चेहरे पर थी, आईना साफ करता रहा।”

Political circles में इसे सिर्फ शेर नहीं, बल्कि direct message माना गया। मतलब साफ— चेहरे की धूल खुद साफ करने के बजाय
सरकार पर उंगली उठाई जा रही है।

योगी ने यह भी कहा कि जांच पूरी होने दीजिए, सच्चाई खुद सामने आ जाएगी—दूध का दूध और पानी का पानी।

Akhilesh Yadav का जवाब: जब शायरी हथियार बन जाए

योगी के बयान के कुछ ही घंटों बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मोर्चा संभाला। नाम लिए बिना सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने लिखा— “जब ‘ख़ुद’ फँस जाओ, तो दूसरे पर इल्ज़ाम लगाओ, ये खेल हुआ पुराना, हुक्मरान कोई नई बात बताओ।”

यह सिर्फ जवाब नहीं था, बल्कि यह संकेत भी था कि विपक्ष defensive mode में नहीं, बल्कि counter-attack की पूरी तैयारी में है।

SIT, STF और सिस्टम की परीक्षा

सरकार का कहना है कि Codeine syrup misuse को लेकर UP पुलिस, STF, FSDA  मिलकर काम कर रहे हैं। इसके अलावा एक State Level SIT बनाई गई है, जो यह भी जांच कर रही है कि इस अवैध कारोबार से कमाई गई रकम कहां invest की गई। सवाल सिर्फ नशे का नहीं, बल्कि money trail और political protection का भी है।

शीतकालीन सत्र: बहस कम, बवाल ज्यादा?

19 से 24 दिसंबर तक चलने वाले इस शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट, ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष और कई अहम मुद्दों पर चर्चा प्रस्तावित है। लेकिन जिस तरह से सत्र शुरू होने से पहले ही word war तेज हो चुकी है, उससे साफ है कि सदन में policy से ज्यादा राजनीति हावी रहने वाली है।

लड़ाई सिर्फ Codeine syrup की नहीं है, यह लड़ाई है—  आरोपों की शेर-शायरी की और उस आईने की, जिसे हर कोई दूसरे के हाथ में देना चाहता है।

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