डैम या ‘वॉटर बम’? ब्रह्मपुत्र पर चीन का मेगा प्रोजेक्ट, भारत की धड़कनें तेज

राघवेन्द्र मिश्रा
राघवेन्द्र मिश्रा

चीन एक बार फिर दुनिया को यह बताने में जुटा है कि इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना कोई उससे सीखे। इस बार निशाने पर है ब्रह्मपुत्र नदी — जिसे चीन में Yarlung Tsangpo कहा जाता है। इसी नदी पर चीन अब तक का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है, जिसकी लागत करीब 168 अरब डॉलर बताई जा रही है।

चीन का दावा है कि यह प्रोजेक्ट green energy और climate-friendly development का उदाहरण बनेगा।
लेकिन पड़ोसी देशों को यह “ग्रीन” से ज्यादा “ग्रे एरिया” लग रहा है।

River नहीं, Region की Life Line

यारलुंग त्सांगपो तिब्बत से निकलकर भारत में प्रवेश करते ही ब्रह्मपुत्र बन जाती है। यह सिर्फ एक नदी नहीं है, बल्कि लाखों किसानों की खेती। मछुआरों की रोज़ी और पूरे ब्रह्मपुत्र बेसिन का ecological balance इसी के भरोसे चलता है।

Experts साफ कहते हैं — upstream में की गई बड़ी छेड़छाड़ downstream देशों के लिए slow-motion disaster बन सकती है।

जब नदी international हो और control unilateral, तब “जल सहयोग” सिर्फ बयान तक सीमित रह जाता है. 

Ecosystem बोले – “Please Stop”

जिस इलाके में यह प्रोजेक्ट बन रहा है, वह पहले से ही ecologically sensitive zone है। यहां मौजूद हैं National Nature Reserves  Bengal Tiger Clouded Leopard Red Panda और कई endangered species Scientists का मानना है कि ऐसे fragile इलाके में mega dams बनाना मतलब — Nature से power generate करना, लेकिन balance से ज्यादा power लेना।

Development की कीमत कौन चुकाएगा?

इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी human cost है — displacement। यहां रहने वाले Monpa और Lhoba जैसे आदिवासी समुदायों को अपने ancestral homes छोड़ने होंगे livelihood के नए रास्ते ढूंढने होंगे Chinese authorities मानते हैं कि relocation होगा, लेकिन सवाल वही पुराना है — “Rehabilitation on paper या real life?”

भारत के लिए क्यों Danger Zone?

अगर ब्रह्मपुत्र के flow pattern में बदलाव हुआ तो असर पड़ेगा Soil movement पर, Fish migration पर Flood और drought cycles पर भारत में ब्रह्मपुत्र का बड़ा हिस्सा मानसून और tributaries से भरता है, लेकिन upstream control से river का natural rhythm disturb हो सकता है।

नदी बहती है प्रकृति से, पर डर पैदा होता है control से.

सिर्फ बिजली नहीं, Strategy भी?

Experts इसे सिर्फ hydropower project नहीं मानते। यह project दिखाता है Tibet region पर tight कण्ट्रोल, Himalayan belt में strategic डोमिनान्स और transboundary rivers पर leverage अरुणाचल प्रदेश के CM पेमा खांडू पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि यह प्रोजेक्ट एक दिन “Water Bomb” बन सकता है।

उनका साफ कहना था — अगर पानी अचानक छोड़ा गया तो बाढ़, और अगर रोका गया तो सूखा।

Mekong से क्यों बढ़ा शक?

चीन का track record भी सवालों के घेरे में है। Mekong River पर बने चीनी डैम्स को लेकर Vietnam जैसे देशों ने आरोप लगाए कि पानी रोकने से सूखे जैसे हालात बने।

चीन इन आरोपों को खारिज करता है, लेकिन neighbors कहते हैं — Pattern repeat हो रहा है, बस geography बदल गई है।

भारत की Strategy क्या है?

भारत सरकार का कहना है कि चीन की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी है National interests से कोई समझौता नहीं होगा साथ ही भारत खुद भी ब्रह्मपुत्र पर 11,200 MW के hydropower प्रोजेक्ट्स सरकारी कंपनियों के जरिए काम कर रहा है।

चीन का यह मेगा प्रोजेक्ट
Environment
Indigenous communities
India-China relations

तीनों के लिए long-term implications लेकर आता है। जब नदी की दिशा से ज्यादा नीति की दिशा बदले, तब सवाल पानी का नहीं — भरोसे का होता है.

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