
लोकसभा में आज स्मॉग का मुद्दा भी धुआं-धुआं हो गया। कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली की जहरीली हवा पर सीधी बात रखते हुए सरकार को प्रस्ताव दिया— “चलो मिलकर प्लान बनाते हैं, आरोप-प्रत्यारोप बाद में कर लेंगे।”
राजनीति की छत पर अक्सर उठने वाला धुआं आज सचमुच का धुआं बनकर सदन तक पहुंच चुका था। राहुल बोले कि अब लड़ने का नहीं, सांस बचाने का समय है।
“बच्चे कैंसर झेल रहे, बुजुर्ग सांस गिन रहे”—राहुल की चिंता
उन्होंने बताया कि कई शहरों में हालत ऐसी है कि बच्चे फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे। बुजुर्गों को सांस लेना मुश्किल और अगला जनरेशन स्मॉग का फुल पैकेज ले रहा है।
“भविष्य बर्बाद हो रहा है, हवा की फाइल बंद नहीं हो सकती।”—राहुल गांधी
“5–10 साल का मास्टर प्लान चाहिए, चूना-पुताई वाला समाधान नहीं”
राहुल गांधी का कहना था कि हवा साफ करने के लिए लॉन्ग-टर्म एक्शन प्लान बने। अगले 5 या 10 साल का रोडमैप तैयार हो और चर्चाओं में “हमने किया–आपने किया” वाला राग ना चले। उनका सीधा संदेश—संसद हवा साफ करने पर बोले, ना कि एक दूसरे को धुआं दिखाने पर।

सरकार की तरफ़ से रिजिजू का जवाब: “हम पहले दिन से तैयार हैं”
संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू ने विपक्ष को आश्वासन दिया कि सरकार हर गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, सुझाव लेने के लिए खुली है। और समाधान निकालने के लिए सहयोग चाहती है। मतलब—स्मॉग पर सियासत नहीं, काम की बात हो।
संसद में आज राजनीति नहीं, हवा ज्यादा भारी थी
- बाहर दिल्ली में स्मॉग की मोटी परत
- अंदर संसद में भी हवा भारी
- फर्क सिर्फ इतना कि बाहर मास्क लगाना पड़ता है, अंदर माइक्रोफोन
आज सदन में पहली बार “हवा” असल में मुद्दा बनी, न कि हवा-हवाई आरोप!
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