
भारत की राजनीति जितनी जटिल है, उतनी ही दिलचस्प भी। और उसमें अगर नाम शशि थरूर का हो तो मसाला अपने आप बढ़ जाता है। हाल के दिनों में थरूर के कुछ बयान, कुछ तस्वीरें और कुछ “पॉलिटिकल बॉडी लैंग्वेज” ने यह सवाल गर्म कर दिया— क्या थरूर कांग्रेस से दूर जा रहे हैं? या बीजेपी धीरे-धीरे उनके करीब?
थरूर: कांग्रेस में, मगर अपनी लय में
थरूर की खासियत यह है कि वो कांग्रेस में रहते हुए भी अक्सर “कांग्रेस की आधिकारिक लाइन” से थोड़ा अलग सुर निकाल देते हैं।
- कभी विदेश नीति पर
- कभी सरकार की स्कीमों पर
- कभी पीएम मोदी की तारीफ पर
उनका अंदाज़ बाकी नेताओं से हटकर है— शालीन, शब्दों से भरा और कभी-कभी ऐसा कि पार्टी का सोशल मीडिया हैंडल भी सोच में पड़ जाए।
बीजेपी के ‘पास’ का नैरेटिव कहां से शुरू हुआ?
असल में दो वजहों से गर्मी बढ़ी— कुछ मुद्दों पर थरूर ने मोदी सरकार की “संयमित” तारीफ की,और बीजेपी नेताओं से उनकी बढ़ती सार्वजनिक सौहार्दपूर्ण बातचीत।
बस, इतना सा काफी है सोशल मीडिया को दो धड़ों में बांटने के लिए— एक धड़ा: “थरूर बीजेपी में जा रहे हैं!” दूसरा धड़ा: “भाई, शांति रखो, यह कूटनीति है!”
कांग्रेस के अंदर की स्थिति—थरूर असहज या स्वतंत्र?
कांग्रेस में राहुल गांधी की लाइन अलग, संगठन की राजनीति अलग और थरूर का तरीका अलग। कई बार ऐसा लगता है कि थरूर पार्टी में हैं, पर अपनी वैचारिक स्पीड लिमिट पर चलते हैं।
यानी गाड़ी कांग्रेस की है, पर GPS थरूर का अपना।

क्या शशि थरूर बीजेपी में जा सकते हैं?
राजनीति में सब संभव है—पर फिलहाल संकेत यह कहते हैं:
- थरूर एक वैचारिक उदारवादी हैं
- बीजेपी के सख्त राष्ट्रवादी ढांचे से मेल मुश्किल
- केरल की राजनीति में कांग्रेस ही उनकी मजबूती
तो बीजेपी जॉइन का दावा अभी थोड़ा ज़्यादा फिल्मी लगता है।
“थरूर बीजेपी जाएं तो क्या अपने अंग्रेज़ी के लंबाई-चौड़ाई वहां भी जारी रखेंगे? या पहले Vocabulary टेस्ट होगा?”
राजनीतिक विश्लेषण हो न हो, मीम डिपार्टमेंट हमेशा तैयार रहता है।
थरूर की दूरी-नजदीकी, दोनों ही Relative Term
शशि थरूर अभी भी कांग्रेस के अंदर ही एक अलग ब्रह्मांड की तरह हैं। उनकी बातों की टोन से लोग दूरी-मापते हैं, जबकि असल में उनका स्टाइल ही ऐसा है। फिलहाल— वो न कांग्रेस से दूर हैं, न बीजेपी के पास—बस न्यूट्रल पॉलिटिकल ऑर्बिट में घूम रहे हैं।
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