देव दीपावली 2025: जब काशी ने खुद को स्वर्ग से भी ज्यादा रौशन कर दिया

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

आज कार्तिक मास की पूर्णिमा की पावन संध्या पर भगवान शिव की नगरी काशी सचमुच देवों की नगरी बन गई।
गंगा किनारे 20 लाख से अधिक दीयों की स्वर्णिम आभा ने ऐसा दृश्य रचा, मानो खुद देवता भी बालकनी से झाँक रहे हों!

शाम 5:30 बजे से दीयों का समंदर उमड़ा — 88 घाट, 96 कुंड और 50,000 तालाबों पर फैली रोशनी ने वाराणसी को एक जीवित स्वर्ग बना दिया।
गंगा पार रेती पर तीन लाख दीयों की कतारें देखकर लगा, धरती ने तारों को नीचे बुला लिया हो।

नमो से अस्सी तक, हर घाट की अपनी कहानी

जैसे-जैसे घड़ी 6:30 के करीब पहुँची, काशी का हर कोना जगमगाया। नमो घाट से लेकर अस्सी घाट तक दिव्यता का मेला लगा हुआ था।
हर घाट पर दीयों की लड़ी, बिजली की झालरें और रंग-बिरंगी रंगोलियाँ… ऐसा लगा मानो पूरी वाराणसी ने एक साथ कहा हो — “हर हर महादेव!”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के साथ क्रूज़ में सवार होकर नमो घाट से अस्सी घाट तक इस दिव्यता का दर्शन किया।
काशी की गंगा किनारे बही हवा में आरती, भक्ति और तकनीक – तीनों का संगम था।

गंगा आरती में समर्पण की मिसाल

देव दीपावली पर गंगा आरती सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि श्रद्धा और संवेदना का प्रतीक बनी।

  • नमो घाट पर पहली बार गंगा आरती आयोजित हुई — जिसमें योगी सरकार के मंत्री उपस्थित रहे।
  • दशाश्वमेध घाट की महाआरती “ऑपरेशन सिंदूर” को समर्पित थी, जहाँ 21 अर्चक और 42 देव कन्याएँ आरती में सम्मिलित हुईं।
  • गंगोत्री सेवा समिति ने अपनी आरती पहलगाम में शहीद हुए जवानों को समर्पित की।
  • अस्सी घाट की आरती महिला क्रिकेट टीम को समर्पित रही, जिसने हाल ही में विश्व कप जीता था।

हर घाट पर आरती की ध्वनि, दीपों की लहरें और मंत्रों की गूंज — ये सब मिलकर बन गए काशी की आत्मा का साउंडट्रैक।

लेजर शो और ग्रीन आतिशबाजी: टेक्नोलॉजी भी हुई भक्तिमय

काशी ने इस बार “डिजिटल आध्यात्म” का नया चेहरा दिखाया। चेत सिंह घाट पर तीन राउंड में प्रोजेक्शन और लेजर शो आयोजित हुआ —
जिसमें महादेव की कथाओं को रोशनी और ध्वनि के माध्यम से जीवंत किया गया।

टाइम स्लॉट्स:

  • पहला शो – शाम 6:15 से 6:45
  • दूसरा – 7:15 से 7:45
  • तीसरा – 8:15 से 8:45

वहीं ललिता घाट पर ग्रीन आतिशबाजी ने गंगा के जल में रंग बिखेर दिए — कोई तारा गिरा नहीं, पर आसमान जरूर चमक उठा।

विश्व के नक्शे पर फिर चमकी काशी

अनुमान के मुताबिक, 20 लाख से ज्यादा लोग इस आयोजन के साक्षी बने। देव दीपावली 2025 ने एक बार फिर साबित किया कि काशी सिर्फ एक शहर नहीं, एक अनुभव है।
जहाँ हर दीपक सिर्फ रोशनी नहीं, बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और सनातन आत्मा की लौ है।

काशी में इतने दीये जलाए गए कि बिजली विभाग ने भी कहा —
“आज तो मीटर बंद कर दो भाई, महादेव खुद बिल भर देंगे!”

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