गूंजेगा सुर, नृत्य और भक्ति का संगम — देव दीपावली से पहले काशी महोत्सव

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

देव दीपावली से पहले काशी के घाटों पर सुर, नृत्य और भक्ति की त्रिवेणी बहने वाली है। 1 से 4 नवंबर तक होने वाला गंगा महोत्सव 2024 इस बार और भी भव्य होगा। राजघाट से लेकर नमो घाट तक गूंजेगी शास्त्रीय, लोक और भक्ति संगीत की स्वर लहरियां — और योगी सरकार इसे सांस्कृतिक तीर्थ बना देने पर तुली है।

हंसराज रघुवंशी, मालिनी अवस्थी और गीता चंद्रन का धमाल

4 नवंबर को भक्ति के Rockstar हंसराज रघुवंशी अपने भजनों से घाटों को गंगा जल जितना पवित्र बना देंगे। 3 नवंबर की शाम पद्मश्री मालिनी अवस्थी उत्तर भारत की लोक परंपराओं को अपनी आवाज़ में सजाएंगी। वहीं 2 नवंबर को पद्मश्री गीता चंद्रन का भरतनाट्यम दर्शकों को संस्कृति के दिव्य रूप से परिचित कराएगा।

मतलब साफ है — इस बार गंगा के घाट सिर्फ जगमग नहीं, “झूम” भी उठेंगे।

काशी के घाटों पर संस्कृति की संगीतमय सरिता

संयुक्त निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार के मुताबिक इस बार महोत्सव “सिर्फ आयोजन नहीं, अनुभव” होगा। चार दिनों तक घाटों पर लोक-शास्त्रीय संगीत, नृत्य, और वादन कला की झलक देखने को मिलेगी। शाम 4 बजे से हर रोज़ ऐसा दृश्य होगा कि घाटों की सीढ़ियां खुद ताल में झूमती दिखेंगी।

पहला दिन (1 नवंबर) — शास्त्रीय सुरों की गूंज

  • पं० माता प्रसाद मिश्र और पं० रविशंकर मिश्र — कथक युगल नृत्य
  • कविता मोहन्ती — ओडिसी नृत्य
  • विदुषी कमला शंकर — स्लाइड गिटार
  • रवि शर्मा और समूह — ब्रज लोक नृत्य

यानी पहला दिन “क्लासिकल से लोक तक” का सुरमय सफर।

दूसरा दिन (2 नवंबर) — राग, ताल और भरतनाट्यम का जादू

  • पद्मश्री गीता चंद्रन — भरतनाट्यम
  • पं० साहित्य नाहर और डॉ० संतोष नाहर — सितार-वायलिन जुगलबंदी
  • सवीर समूह — लोक नृत्य
  • ओम प्रकाश — भजन गायन

इस दिन घाट पर हर स्वर में श्रद्धा, हर ताल में संस्कृति झलकेगी।

तीसरा दिन (3 नवंबर) — लोक और प्रेम रस का संगम

  • मीना मिश्रा, इंदु गुप्ता, दिव्या शर्मालोक व शास्त्रीय गायन
  • विशाल कृष्णकथक नृत्य
  • पद्मश्री मालिनी अवस्थीलोक गायन

काशी की मिट्टी की महक, सुरों में घुल जाएगी।

चौथा दिन (4 नवंबर) — भक्ति में डूबा अंतिम अध्याय

  • हंसराज रघुवंशीभजन गायन
  • डॉ. शुभांकर डे — गायन
  • राहुल रोहित मिश्र — शास्त्रीय गायन

और जब “शिव की नगरी” में “शिव का भजन” गूंजेगा, तो माहौल बस एक शब्द कहेगा — हर हर गंगे!

देव दीपावली से पहले ही स्वर्ग सा दृश्य

इस बार काशी सचमुच “कला और अध्यात्म का संगम” बनने जा रही है। पर्यटन विभाग ने घाटों को रोशनी से सजाने, सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। और सबसे खास — “नमो घाट” पर सांसद सांस्कृतिक प्रतियोगिता में उभरते कलाकारों को मंच मिलेगा।

काशी के घाटों पर इस बार “साउंड सिस्टम” भी बोलेगा — “ये सुर हैं पवित्र, इन्हें सिर्फ सुना नहीं, महसूस किया जाता है!” और दर्शक — “हर हर महादेव” की तालियों से घाटों को फिर गूंजा देंगे।

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