
भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार डील अब अंतिम स्टेज में बताई जा रही है। और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो भारत को लगने वाला 50% टैरिफ सीधा गिरकर 15%-16% पर आ सकता है। अब इसे कहते हैं – “तेल बचाओ, डॉलर कमाओ!”
डील की चाय पर चर्चा: कृषि, एनर्जी और… रूस?
इस डील का फोकस सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि “कूटनीतिक तेल-मसाले” पर भी है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद में कटौती करे। और बदले में देगा – “कम टैरिफ, ज्यादा व्यापार!”
ट्रंप का दिवाली फोन कॉल: मिठाई के साथ शर्त भी!
22 अक्टूबर को ट्रंप ने पीएम मोदी को दिवाली की शुभकामनाएं दीं। पर साथ ही एक सीधा संदेश भी दिया – “तेल की धार हल्की करो, तभी डील की बौछार होगी।”
रिपोर्ट्स की मानें तो फोन पर बातचीत में रूस से कच्चा तेल खरीद कम करने पर सहमति बनती दिख रही है।
50% से 15% टैरिफ: भारत के लिए सौदा फायदेमंद?
अगर यह डील फाइनल हो जाती है तो भारत के लिए यह “अमेरिकी ट्रेड वॉर” से एक बड़ी जीत मानी जाएगी। इससे कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। ऊर्जा सेक्टर को नई दिशा मिल सकती है और सबसे खास – रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की स्थिति और संतुलित हो सकती है।
मतलब ये कि, डिप्लोमेसी में भी अब सब कुछ “Buy One Get One Free” टाइप डील बन रही हैं।
ASEAN समिट में हो सकता है ऐलान
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ऐतिहासिक डील अक्टूबर के अंत तक फाइनल हो सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि ASEAN शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रंप इसका औपचारिक ऐलान कर सकते हैं।
हालांकि अभी तक न भारत और न अमेरिका ने इस पर मुहर लगाई है। लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, “सब कुछ लगभग तय है – बस घोषणा बाकी है!”
“क्या ट्रंप की ट्रेड डील ‘ट्रंप कार्ड’ साबित होगी?”
ट्रंप स्टाइल डिप्लोमेसी हमेशा ही दिलचस्प रही है – “अगर आप मेरी बात मानो, तो व्यापार में छूट मिलेगी। नहीं मानो, तो टैरिफ की चटनी तैयार है।”
भारत के लिए ये डील एक रणनीतिक संतुलन हो सकता है — जहां रूस से दोस्ती और अमेरिका से डील, दोनों को मैनेज करना होगा।
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