72 वर्षीय हाई-प्रोफाइल दंपत्ति को 58 करोड़ की ठगी, बना दिया ‘डिजिटल कैदी’

भोजराज नावानी
भोजराज नावानी

मुंबई में साइबर ठगों ने ऐसा स्कैम रचा, जिसने देशभर को चौंका दिया है। इस बार शिकार बने एक 72 वर्षीय पढ़े-लिखे, हाई-प्रोफाइल दंपत्ति — जिनसे CBI इन्वेस्टिगेशन का डर दिखाकर ₹58 करोड़ ठग लिए गए।

फर्जी CBI सेटअप: वीडियो कॉल, वर्दी और कोर्ट ऑर्डर — सबकुछ नकली, लेकिन बिल्कुल असली जैसा!

पूरा मामला शुरू हुआ 19 अगस्त को एक वीडियो कॉल से। सामने एक शख्स CBI अफसर की वर्दी में था। उसने कहा कि दंपत्ति का बैंक अकाउंट मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हो रहा है, और जल्द ही उनकी सारी प्रॉपर्टी सीज़ कर दी जाएगी।

वीडियो कॉल के पीछे दिखाया गया CBI ऑफिस और कोर्ट रूम — असल में फेक सेटअप था। व्हाट्सऐप पर भेजे गए नकली कोर्ट ऑर्डर और लीगल डॉक्यूमेंट्स ने इस नाटक को और विश्वसनीय बना दिया।

‘डिजिटल अरेस्ट’: 40 दिन तक अपने ही घर में कैदी रहे करोड़पति दंपत्ति!

ठगों ने बुजुर्ग दंपत्ति को कहा कि वे अब “Digital Arrest” में हैं — मतलब, घर से बाहर नहीं जा सकते, किसी से बात नहीं कर सकते। उन्हें दिन-रात वीडियो कॉल पर निगरानी में रखा गया और हर दो घंटे में रिपोर्ट देना ज़रूरी था।

इस डर के माहौल में दंपत्ति ने अपने सभी बैंक खाते, म्यूचुअल फंड, निवेश की जानकारी ठगों को दे दी। धीरे-धीरे 40 दिन में ₹58 करोड़ उनके खाते से निकल गए।

19 अगस्त से 29 सितंबर तक चला पूरा गेम, तबाह हो गया जीवन

29 सितंबर को आखिरी ट्रांजैक्शन हुआ। तब तक दंपत्ति के सारे खाते खाली हो चुके थे। इसके 11 दिन बाद उन्होंने अपने एक दोस्त को बताया, जिसके बाद सच्चाई सामने आई। 10 अक्टूबर को FIR दर्ज की गई और महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने जांच शुरू की।

अब तक 7 गिरफ्तार, 4 करोड़ की रिकवरी, जांच अभी भी जारी

पुलिस ने इस हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। ठगों ने खुद को छिपाने के लिए VPN, फर्जी बैंक अकाउंट्स, और शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया। 4 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है, और 9 टीमें लगातार इस केस पर काम कर रही हैं।

ADG यशस्वी यादव का बड़ा बयान: ठग अब टेक्नोलॉजी ही नहीं, साइकोलॉजी से खेल रहे हैं!

इस केस पर बात करते हुए ADG यशस्वी यादव ने कहा, “यह स्कैम दिखाता है कि ठग अब सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि डर और मानसिक दबाव का भी शातिर इस्तेमाल कर रहे हैं। जब तक बैंकिंग सिस्टम सख्त नहीं होगा और लोग साइबर अवेयरनेस नहीं बढ़ाएंगे, ऐसे स्कैम रुकना मुश्किल है।”

सीख क्या है?

  • कभी भी किसी अनजान कॉल या वीडियो कॉल पर भरोसा न करें।
  • कोई भी सरकारी एजेंसी आपको व्हाट्सएप पर कोर्ट ऑर्डर नहीं भेजती।
  • CBI, ED जैसी संस्थाएं कॉल पर पैसा ट्रांसफर की मांग नहीं करतीं।
  • डर के बजाय तुरंत किसी जानकार व्यक्ति या पुलिस को बताएं।

Digital India में Digital Awareness उतनी ही ज़रूरी है जितना इंटरनेट

यह घटना सिर्फ एक स्कैम नहीं, एक साइकोलॉजिकल क्राइम है। जब अमीर, पढ़े-लिखे लोग भी फंस सकते हैं, तो सोचिए आम जनता कितनी असुरक्षित है। अब वक्त है कि हम सिर्फ डिजिटल सुविधाएं ही नहीं, डिजिटल सेफ्टी और सतर्कता भी अपनाएं।

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