
बिहार विधानसभा चुनावों में एक बार फिर सियासत की गर्मी से थर्मामीटर फटने वाला है।
इस बार मुद्दा न विकास है, न बेरोजगारी – यहां तो टॉपिक है: “डिप्टी CM की डिग्री असली है या असली से दिखने वाली?”
एफिडेविट में ’10वीं पास’ की डेट गुम!
प्रशांत किशोर (PK) का कहना है कि डिप्टी CM सम्राट चौधरी के चुनावी हलफनामे में उनकी 10वीं की पासिंग डेट तक नहीं है।
हमने पढ़ा, मगर वहां भी “10वीं पास कब?” का जवाब मिसिंग है, जैसे बिहार में रोड पर डिवाइडर।
डिग्री वही जो तारीख बताए। वरना तो ये एजुकेशन नहीं, ‘पोलिटिकल एंटरटेनमेंट’ है।
PFC कोर्स यानी ‘पक्का फर्जी कोर्स’?
सम्राट चौधरी ने बताया कि उन्होंने PFC (Professional Frontline Course) तमिलनाडु की कामराज यूनिवर्सिटी से किया है।तो अब सवाल खड़ा है — ना 10वीं का सर्टिफिकेट, ना तमिल भाषा की जानकारी तो फिर डिग्री आई कहां से? Amazon पे तो नहीं बिकी थी न!
कोर्ट में कानूनी घसीटम-घसीट
प्रशांत किशोर ने साफ कह दिया – “अब हम सम्राट के एफिडेविट को कोर्ट में चैलेंज करेंगे। अब जब वो तारापुर से चुनाव लड़ रहे हैं, तो जवाब तो देना होगा!”
PK का अगला कदम? लीगल नोटिस + मीडिया कवरेज = चुनाव से पहले फुल बवाल।

नरसंहार केस की ‘साइलेंट स्टोरी’
PK ने ये भी याद दिलाया कि 1995 में सम्राट चौधरी पर नरसंहार से जुड़ा एक केस दर्ज हुआ था। उनका आरोप है कि सम्राट ने खुद को नाबालिग बताकर उस केस से बेल पाई थी। अब सवाल उठता है — “अगर तब आप नाबालिग थे, तो अब ये PFC और पॉलिटिकल फॉर्मूला कब से पढ़ा?”
बिहार में डिग्री नहीं, ‘ड्रामा’ अनिवार्य है
चुनाव प्रचार से ज्यादा अब बायोडेटा चेकिंग चल रही है। नेता जी पढ़े हैं या नहीं, ये तो वोटर जानेंगे बाद में, पहले तो कोर्ट और मीडिया करेंगे Cross Questioning।
एक लाइन में कहें तो:
“बिहार चुनाव 2025: जहां घोषणापत्र से ज्यादा जरूरी है – ‘आपकी 10वीं की मार्कशीट’!”
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