सुप्रीम फैसला -“अब वोटर लिस्ट में घुसो… आधार लेकर हाजिर हो जाओ!”

अजमल शाह
अजमल शाह

बिहार में चुनावी तैयारियां ज़ोरों पर हैं, और इस बार केवल वोट नहीं, दस्तावेज़ भी गिनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अब आधार कार्ड को वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए मान्य दस्तावेज़ घोषित कर दिया है। यानी, “अब वोटर लिस्ट में घुसने के लिए पासपोर्ट नहीं, आधार पास हो तो बात बन सकती है।”

सुप्रीम आदेश: अब ‘आधार’ भी एक आधिकारिक आधार

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने आदेश देते हुए कहा कि चुनाव आयोग आधार को एक वैध दस्तावेज के रूप में माने, जैसे कि पासपोर्ट, राशन कार्ड आदि। लेकिन, आधार से सिर्फ पहचान साबित होगी, नागरिकता नहीं। “नाम, उम्र, पते की गारंटी नहीं, बस फोटो और फिंगरप्रिंट का तसल्लीबख्श प्रिंट!”

चुनाव आयोग को मिली खुली छूट: चाहे तो आधार की जांच कर ले

सुनवाई के दौरान जब चुनाव आयोग ने बताया कि कुछ ‘वोटर्स’ दरअसल घुसपैठिए निकल रहे हैं, तो कोर्ट ने भी सिर हिला दिया।
कोर्ट बोला – “ठीक है, आधार को मान्य मानो… पर चाहो तो जांच भी कर लो। आधार है तो फुलप्रूफ नहीं, लेकिन कुछ तो है।”

वोटर लिस्ट की जांच में निकले ‘सरहद पार के सपने’

चुनाव आयोग के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में कुछ ऐसे लोग भी वोटर बने बैठे हैं, जिनकी नागरिकता तो भारत में ‘अस्थायी’ है! इनमें कुछ ‘बॉर्डर क्रॉसर्स’, कुछ ‘पेइंग गेस्ट’ और कुछ ‘बाय मिस्टेक इंडियन’ भी शामिल हैं।

 “सुपारी लेकर कोई वोटर बन जाए, इससे अच्छा आधार लेकर आ जाए।”

अब कुल कितने दस्तावेज़ से नाम जुड़ सकता है?

अब आधार को मिलाकर कुल 12 दस्तावेज़ से वोटर लिस्ट में नाम जोड़ा जा सकता है, जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और अब… “वोटर लिस्ट में प्रवेश का आधार” — आधार कार्ड!

कोर्ट का आदेश = ECI का नोटिफिकेशन जल्द

कोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा है कि वह इस पर जल्द ही स्पष्ट और सार्वजनिक नोटिफिकेशन जारी करे, ताकि अफवाह और भ्रम का खात्मा हो।

Translation: “अब वोटर ID कैंप में लाइन लगाने से पहले आधार कार्ड निकाल लो, वो काम आएगा!”

इस फैसले से दो बातें साफ़ हैं- बिहार की वोटर लिस्ट अब थोड़ी और डिजिटल होने वाली है। लेकिन डिजिटल भारत में भी घुसपैठ analog तरीके से जारी है! यह निर्णय जहां एक ओर वोटर लिस्ट को सुलभ और तेज़ अपडेट करने की दिशा में बढ़ा कदम है, वहीं दूसरी ओर यह भी ध्यान रखने वाला विषय है कि

“आधार है, तो सिर्फ आइडेंटिटी है — नागरिकता की नहीं गारंटी!”

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