
उत्तर प्रदेश में मानसून भले ही समय से न आया हो, लेकिन राजनीतिक गरमी पूरे जोर पर है। जैसे ही UP Assembly का मानसून सत्र शुरू होने वाला है, PDA पाठशाला बनाम पोस्टर वार ने सियासी पारा और चढ़ा दिया है।
PDA पाठशाला: समाजवादी शिक्षा या राजनीतिक प्रयोगशाला?
समाजवादी पार्टी लखनऊ के अलग-अलग हिस्सों में PDA पाठशाला चला रही है, जिसमें P फॉर PDA, A फॉर अखिलेश और D फॉर डिंपल पढ़ाया जा रहा है। इस नई पाठशाला की टैगलाइन हो सकती है – “जहाँ पढ़ाई कम, राजनीति ज़्यादा होती है!”
बीजेपी का पोस्टर वार: “PDA पाठशाला का काला सच”
भाजपा एमएलसी और प्रदेश महामंत्री सुभाष यदुवंश ने सीधा मोर्चा खोलते हुए लखनऊ के CM आवास के पास एक पोस्टर लगवा दिया। पोस्टर में लिखा गया:
“PDA पाठशाला का काला सच – कौन अभिभावक चाहता है कि उसका बच्चा A for अखिलेश और D for डिम्पल सीखे?”
साथ ही, अखिलेश यादव से माफ़ी मांगने की भी सार्वजनिक मांग कर डाली।
पूजा शुक्ला पर FIR: जब पाठशाला बंद स्कूल में पहुंच गई
PDA पाठशाला सिर्फ पोस्टरों में ही नहीं, FIR की कक्षा में भी पहुंच चुकी है। लखनऊ के बीकेटी क्षेत्र में सपा नेत्री पूजा शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी प्राइमरी स्कूल का ताला तोड़कर वहां अवैध शिक्षण गतिविधियां चलाईं।
बेसिक शिक्षा विभाग की तहरीर पर पुलिस ने पूजा शुक्ला और अन्य अज्ञात “गुरुजन” के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
सियासत में शिक्षा का पोस्टर-फुल ड्रामा
विधानसभा सत्र से ठीक पहले यह सारा विवाद सरकार और विपक्ष दोनों को पोस्टर और पब्लिक स्टंट की राजनीति में उलझा रहा है।

भाजपा कह रही है: “PDA पाठशाला नहीं, जनहित सत्र चाहिए।”
सपा कह रही है: “जब सत्ता नहीं सिखा रही, तो हमें पढ़ाना ही पड़ेगा।”
अगला पाठ – Z for ज़ुबानी जंग!
इस पूरी कहानी में शिक्षा, सियासत और सस्पेंस का जबरदस्त मेल है।
-
सपा की पाठशाला में पढ़ाई के नाम पर राजनीति हो रही है
-
भाजपा की पॉलिटिक्स पोस्टर पर अटक गई है
-
जनता सोच रही है – P for पब्लिक है, और D for डिस्टर्ब हो चुकी है!
“औपचारिकता नहीं, समाधान बने सत्र” – माया का सत्ता-पक्ष व विपक्ष को संदेश