
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद अब सरकार ने एहतियातन बड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी के 48 पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है और सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त कर दी गई है।
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सुरक्षा के मद्देनज़र बंद हुए प्रमुख स्थल
बंद किए गए पर्यटक स्थलों में दूधपथरी, वेरीनाग, डुक्सुम, सिंथन टॉप, अच्छाबल, बंगस घाटी, मार्गन टॉप, तोसामैदान, कोकरनाग जैसे प्रसिद्ध नाम शामिल हैं। साथ ही दक्षिण कश्मीर के कई मुगल गार्डन भी पर्यटकों के लिए फिलहाल बंद कर दिए गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, यह सभी स्थल संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित हैं और भविष्य में और भी स्थानों को इस सूची में जोड़ा जा सकता है।
स्थानीय लोगों पर असर
इन पर्यटक स्थलों का बंद होना स्थानीय लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि इन क्षेत्रों में होटल, रिसॉर्ट और दुकानें ही आमदनी का मुख्य साधन हैं। लोगों को डर है कि पर्यटन की कमी से उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है।
सैलानियों की प्रतिक्रिया: “कश्मीर हमारा है”
हमले के बाद भी कई सैलानी घाटी का दौरा कर रहे हैं। भद्रवाह पहुंचे एक पर्यटक ने कहा, “कश्मीर हमारा था, है और रहेगा। हम डरने वाले नहीं हैं। पाकिस्तान की साजिश कभी सफल नहीं होगी।”
अहमदाबाद से आए ऋषि भट्ट, जो हमले के दौरान ज़िपलाइनिंग कर रहे थे, ने बताया, “भारतीय सेना ने 20-25 मिनट के अंदर हमें कवर दे दिया। हम आभारी हैं।”
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पहलगाम हमला सिर्फ आतंक का उदाहरण नहीं था, बल्कि यह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का स्पष्ट संकेत था। सरकार द्वारा उठाए गए सुरक्षा कदम जरूरी हैं, लेकिन इनका संतुलन स्थानीय आजीविका के साथ बनाए रखना भी उतना ही अहम है। भारत की सेना और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं, और सैलानी घाटी में खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।