
उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की मुहिम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की ओर कड़ा रुख अपना लिया है। फर्जी डिग्री, बिना मान्यता वाले कोर्स और धांधली वाले एडमिशन अब इतिहास बनने वाले हैं।
हर मंडल में बनेगी विशेष जांच टीम:
“पढ़ाई का धंधा बंद कराओ, छात्रों को न्याय दिलाओ!” मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि सभी मंडलायुक्त अपने-अपने क्षेत्रों में विशेष जांच टीम बनाएं, जिसमें शामिल होंगे:
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एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी
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एक पुलिस विभाग का प्रतिनिधि
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एक शिक्षा विभाग का जानकार
इनकी ज़िम्मेदारी: जमीन पर उतरकर जांच करना, न कि फाइलों में ‘ऑल क्लियर’ का गोलमाल!
अब कॉलेजों को शपथ लेकर बताना होगा:
“हम सच बोल रहे हैं, माई लॉर्ड!” हर संस्थान को अब शपथ पत्र देना होगा, जिसमें साफ-साफ बताना होगा:
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कौन-कौन से कोर्स संचालित कर रहे हैं?
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उन कोर्सेज की मान्यता किस यूनिवर्सिटी या बोर्ड से है?
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कहीं “फर्जी कोर्स – असली फीस” वाला खेल तो नहीं?
और अगर शपथ पत्र में निकली झूठ की स्याही, तो…
अनियमितता = कार्रवाई + फंड वापसी + इज्ज़त की छींटाकशी
मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है:

“बिना मान्यता के कोर्स चलाने वाले संस्थानों को कठोर दंड मिलेगा, और छात्रों से वसूली गई पूरी फीस ब्याज सहित वापस करनी होगी।”
कहने का मतलब — “डिग्री नहीं, दंड मिलेगा!”
15 दिन में जांच पूरी, शासन को रिपोर्ट दो वरना…
हर जिले को 15 दिनों में जांच पूरी कर रिपोर्ट भेजनी होगी। और अगर मंडलायुक्तों ने इसे सिर्फ “फॉर्मेलिटी” समझा, तो योगी जी का “विकराल मोड” ऑन हो जाएगा।
छात्रों का भविष्य बनेगा फोकस, फ्रॉड नहीं
योगी आदित्यनाथ का फोकस साफ है:
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शिक्षा में पारदर्शिता
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फर्जी संस्थानों की पहचान
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छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार
अब शिक्षा का मतलब होगा “Learn & Earn”, न कि “Pay & Pass”।
“डिग्री के पीछे मत भागो दोस्त, पहले ये तो देख लो — कॉलेज की खुद की डिग्री वैध है या नहीं!”
उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा में “फेस-वॉश” नहीं, अब “पावर क्लीनिंग” शुरू हो चुकी है। योगी सरकार ने यह दिखा दिया है कि अब कोई भी कॉलेज छात्रों के भविष्य से कॉमर्स का खेल नहीं खेल सकता।