
उत्तर प्रदेश के पंचायत विभाग ने एक आदेश जारी किया जिसमें ग्राम सभा की ज़मीन से अवैध कब्ज़ा हटाने की बात की गई — सुनने में तो बिल्कुल कानूनी लगता है, पर twist यहीं था। आदेश में एक खास जाति और धर्म का नाम लेकर निशाना साधा गया था।
अब भला ऐसा कोई करे, और सीएम योगी चुप रहें — ऐसा हो सकता है क्या?
CM योगी का Action Mode ON!
जैसे ही आदेश वायरल हुआ, सीएम योगी ने बिना देर किए इस आदेश को “गंभीर प्रशासनिक चूक” बताया और आदेश जारी करने वाले संयुक्त निदेशक एसएन सिंह को सस्पेंड कर दिया।
योगी जी बोले:
“ऐसी सोच शासन की नीति के खिलाफ है और समाज में विभाजन करती है। कानून सबके लिए है – जाति और धर्म के नाम पर राजनीति नहीं चलेगी!”
“बोलने की आज़ादी नहीं, सोचने की भी लिमिट है बाबू!”
इस घटना से एक बात साफ़ है — सरकारी कुर्सी पर बैठकर पब्लिक पॉलिसी नहीं, पर्सनल प्रेजुडिस (पूर्वाग्रह) चलाना अब भारी पड़ सकता है।
कानून का डंडा जब चलेगा, तो धर्म-जाति नहीं, दस्तावेज़ देखे जाएंगे।
जिस अफसर ने सोचा था कि थोड़ी चालाकी दिखा कर जातीय नफरत की पॉलिसी चला लेगा, शायद वो भूल गया था कि यूपी में मुख्यमंत्री सिर्फ सीएम नहीं, खुद मॉनिटरिंग अफसर हैं।