मां बोली- बेटा मर जाएगा महाराज! योगी बोले- नहीं मां, सरकार है ना

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब ‘जनता दर्शन’ में पहुंचे, तो नवरात्रि के पावन दिन एक असली ‘राजधर्म’ निभाते नजर आए। कानपुर से आई एक 63 वर्षीय बुजुर्ग मां, आंखों में आंसू, दिल में दहशत और जुबां पर सिर्फ एक बात –

महाराज, मेरे जवान बेटे को कैंसर है… हमारे पास इलाज का साधन नहीं है।

मुख्यमंत्री ने उस मां की आंखों में देखा और कुछ सेकंड में ही फ़ैसला सुना दिया – सरकारी एंबुलेंस भेजो, बेटा अब सरकार की जिम्मेदारी है।

सीधा कैंसर हॉस्पिटल, बिना फॉर्म-फीस-फॉर्मेलिटी

मां की बात सुनते ही योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह सुपर स्पेशियालिटी कैंसर इंस्टिट्यूट को कॉल करवाया और तुरंत इलाज का आदेश दे दिया। बेटे को जनता दर्शन से सीधा अस्पताल भेजा गया। मेडिकल जांच शुरू हो चुकी है।

“दर-दर भटकने वाली मां को शारदीय नवरात्रि में मिला उम्मीद का वरदान”

‘जनता दर्शन’ बना ‘जनता की जान का दरबार’

इस ‘जनता दर्शन’ में 50 से अधिक फरियादी पहुंचे। लेकिन हर किसी से खुद मिलना, प्रार्थनापत्र लेना और अफसरों को आदेश देना – ये ‘सीएम स्टाइल’ अब नया ट्रेंड बन चुका है।

नोएडा से लेकर मथुरा तक के लोग अपनी शिकायतें लेकर आए –

  • अवैध निर्माण

  • साइबर फ्रॉड

  • पुलिस लापरवाही

  • इलाज के लिए आर्थिक मदद

और योगी आदित्यनाथ हर बार बोले –“सरकार है, तो समाधान भी होगा।”

CM साहब ने बच्चों को दिया चॉकलेट, और जनता को भरोसा

जनता दर्शन में कई फरियादी अपने बच्चों के साथ आए थे। मुख्यमंत्री ने नन्हे बच्चों को गोद में उठाया, सिर पर हाथ फेरा और चॉकलेट दी।

“अब बच्चे कहेंगे – पापा, शिकायत करने चलो, टॉफी मिलेगी।”

जब नेता वादा करते हैं, जनता कहती है – “चलो ठीक है।”
पर जब योगी जी सीधा इलाज भिजवा दें, तो जनता कहती है –“भाई! ये तो सच में कुछ कर रहा है।”

राजनीति का दुर्लभ दृश्य:
जहां बाकी नेता मंच से जनता को ‘भावनात्मक स्पीच’ देते हैं, वहीं योगी  जनता से ‘भावनात्मक आवेदन’ लेते हैं।

‘परिवार’ मानकर सेवा, यही है ‘योगी मॉडल’

योगी आदित्यनाथ का बार-बार ये कहना कि – “प्रदेश के 25 करोड़ लोग मेरे परिवार का हिस्सा हैं”कोई भावनात्मक लाइन नहीं, बल्कि अब नीति बन चुकी है

नवरात्रि में मां बोलीं “जगदंबा मदद करें”, और जवाब में योगी बोले “अब सरकार करेगी”

सीएम योगी ने इस घटना के जरिए दिखा दिया कि नवरात्रि सिर्फ देवी पूजन का पर्व नहीं, बल्कि ‘सेवा भाव’ का उत्सव भी हो सकता है।

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