
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह की ओर से भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफ़िया कुरैशी के ख़िलाफ़ की गई टिप्पणी अब थमती नहीं दिख रही। इस विवाद पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया है।
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मायावती ने एक्स पर लिखा:
“पाकिस्तान में आतंकियों के विरुद्ध सेना के आपरेशन सिंदूर की नायिका मुस्लिम महिला कर्नल को लेकर अभद्र टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश के मंत्री के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट की सख्ती के बाद कल देर रात दर्ज एफआईआर उचित है, लेकिन बीजेपी ने कोई कदम नहीं उठाया है।”
यह मामला उस वक्त गरमा गया जब हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए विजय शाह के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो चुकी है।
मंत्री की माफ़ी… लेकिन क्या काफी?
विवाद गहराने पर विजय शाह ने कहा:
“मैं खुद शर्मिंदा हूं, पूरे समाज और बहन सोफिया से माफ़ी मांगता हूं। सेना का हमेशा सम्मान करता हूं।”
हालांकि, मायावती का हमला यह संकेत देता है कि राजनीतिक रूप से यह मामला अभी और तूल पकड़ सकता है।
विश्लेषण, आशीष शर्मा ‘ऋषि’:
“यह कोई मामूली जुबान फिसलना नहीं था, बल्कि एक महिला फौजी पर हमला था — वो भी उस ऑपरेशन की नायिका पर जो पाकिस्तान में आतंक के खिलाफ़ भारत का संदेश था। बीजेपी यदि अब भी चुप है, तो या तो वह इस बयान से सहमत है या फिर उसे महिला सैन्य सम्मान की राजनीति में कोई वोट नहीं दिखते। मायावती की प्रतिक्रिया सिर्फ़ सियासी नहीं, बल्कि उस मौन पर चोट है जो सत्ता के गलियारों में सामान्य होता जा रहा है।”
कर्नल सोफ़िया कुरैशी पर की गई टिप्पणी अब सिर्फ़ एक बयान नहीं, बल्कि देश की महिला सेना अधिकारियों के प्रति सियासत की सोच का आइना बन चुकी है। हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, जनता और अब विपक्ष — सब बोल चुके हैं, अब देखना ये है कि बीजेपी चुप ही रहती है या कुछ करती भी है।
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