उपराष्ट्रपति गायब? धनखड़ जी कहां हैं, कोई GPS ऑन करे

भोजराज नावानी
भोजराज नावानी

शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक चिट्ठी लिखी है।
इस चिट्ठी में उन्होंने एक सीधा लेकिन चौंकाने वाला सवाल उठाया है – उपराष्ट्रपति धनखड़ कहां हैं, क्या वह ठीक हैं, क्या वह सुरक्षित हैं?

उनका कहना है कि 21 जुलाई को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान उपराष्ट्रपति बिलकुल सामान्य दिख रहे थे, उन्होंने बहस भी की, और सदन की कार्यवाही का संचालन किया। लेकिन उसी दिन शाम को अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

“धनखड़ जी का लोकेशन कौन बताएगा?” – राउत ने उठाए गंभीर सवाल

राउत ने दावा किया कि 21 जुलाई के बाद से धनखड़ जी से कोई संपर्क नहीं हो सका है, न ही उनके स्टाफ ने किसी सांसद से बात की है।
यह सवाल और भी गंभीर इसलिए हो गया क्योंकि राज्यसभा के कई सांसद उनसे संपर्क करने में असफल रहे हैं।

“इतना बड़ा संवैधानिक पद छोड़ने के बाद भी, अचानक से सब साइलेंट कैसे हो सकता है?”

कपिल सिब्बल भी हुए चिंतित, एक्स (Twitter) पर पोस्ट किया सवाल

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी X (पूर्व Twitter) पर पोस्ट कर यही सवाल उठाया कि धनखड़ जी अब कहां हैं और उनकी तबीयत कैसी है?

इससे अब ये मुद्दा न सिर्फ राजनीतिक बल्कि संवैधानिक पारदर्शिता और नागरिकों के ‘Right to Know’ से भी जुड़ गया है।

धनखड़ का इस्तीफा: बस एक लाइन – “स्वास्थ्य कारण”

धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा था:

“स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूँ।”

अब सवाल ये है कि —  क्या यह केवल स्वास्थ्य का मामला है?
 या फिर पर्दे के पीछे कोई और राजनीतिक ड्रामा?

राउत का तंज: “देश को जानने का अधिकार है”

संजय राउत ने जोर देकर कहा कि

“जब कोई आम नागरिक भी लापता होता है, तो FIR होती है, जांच होती है। यहां तो देश के उपराष्ट्रपति की बात हो रही है।”

उन्होंने अमित शाह से तुरंत साफ और आधिकारिक जानकारी साझा करने की मांग की।

“सवाल छोटा नहीं है – जवाब ज़रूरी है!”

यह मामला केवल एक नेता के स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि संवैधानिक पारदर्शिता, सूचना अधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।

धनखड़ जी के चाहने वाले, विपक्षी नेता और आम लोग — सभी बस यही पूछ रहे हैं:

“धनखड़ जी, आप कहां हैं?”

अब नेताजी के काफिला ना, चलत बा चलत काफिले में फौज

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