हरदोई ICU का नया ‘पावर प्लान’:-जंबूद्वीप के प्राचीन अस्पताल की कथा, देखें वीडियो

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

“बिजली नहीं है तो क्या हुआ, सेवा में कमी नहीं होनी चाहिए!” — शायद यही सोचकर हरदोई के मेडिकल कॉलेज के ICU में तीमारदार हाथ से पंखा झलाते दिखे। वीडियो वायरल है, नज़ारा बेहद भावुक… और थोड़ा प्राचीन भी। जैसे किसी डॉक्युमेंट्री से सीधा निकला हो: “जंबूद्वीप के प्राचीन अस्पतालों की कथा…”

बिजली विभाग का ‘पुनरुत्थान योजना’ इस हद तक सफल हुआ है कि ICU जैसी नाज़ुक जगह पर भी अब “हाथ पंखा योजना” लागू हो चुकी है। क्या ये ‘Make in India’ का नया मॉडल है या ‘Back to Basics’ पॉलिसी का ICU संस्करण?

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प्राचीन ज़माने की बिजली गुल – आधुनिक युग की विडंबना!

प्राचीन काल में जंबूद्वीप पर बिजली नहीं हुआ करती थी। न बल्ब थे, न पंखे; लोग हवा के लिए हाथ से बेना डुलाते थे। उस जमाने की ये पुरातन व्यवस्था, अब भी कभी-कभी हमारे सामने अपनी भावभीनी यादें ताज़ा करती है।

हरदोई मेडिकल कॉलेज ICU: बिजली गुल, लोगों की मेहनत जुगाड़!

हरदोई के मेडिकल कॉलेज के ICU वार्ड का एक वीडियो सामने आया है, जहां बिजली गुल है। मरीज़ के तीमारदार हाथ से पंखा झलाकर, बिजली की कमी में मरीज को राहत देने की क़वायद करते दिख रहे हैं। यह नजारा किसी पुराने ज़माने का नहीं, बल्कि 21वीं सदी का है।

बिजली महकमे के अलग लाइन के बावजूद कटौती जारी!

स्थानीय सूत्रों की मानें तो मेडिकल कॉलेज की बिजली के लिए अलग लाइन मौजूद है, फिर भी बिजली कटौती जारी है। डॉक्टर, तीमारदार और मरीज़ तीनों ही इस स्थिति से हलकान हैं। क्या बिजली विभाग ने ‘हाथ पंखा’ ऑपरेशन लॉन्च कर दिया है?

जब पंखा चले हाथ से, तो ज़िंदगी हो जाती है हाथों में!

आधुनिक युग में बिजली का न होना एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गई है। बिना बिजली के ICU में उपकरण बंद, डॉक्टरों का काम प्रभावित, और मरीजों को राहत देने के लिए हाथ से पंखा चलाना मजबूरी। ये नजारा सचमुच दिल को छू जाता है और सवाल उठाता है—क्या तकनीक के इस युग में भी बिजली आपूर्ति की बुनियादी सुविधा इतनी कमजोर हो सकती है?

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