दाढ़ी से डर, कबाब से खौफ – चीन के उइगरों से क्यों डरते हैं मुस्लिम देश

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

उइगर (Uyghurs) एक तुर्क जातीय समुदाय है जो मुख्य रूप से चीन के उत्तर-पश्चिमी प्रांत झिंजियांग (Xinjiang Uyghur Autonomous Region – XUAR) में रहते हैं। वे इस्लाम धर्म को मानते हैं और उनकी भाषा ‘उइगुर’, एक तुर्किक भाषा है, जो अरबी लिपि में लिखी जाती है।

झिंजियांग का ऐतिहासिक नाम “पूर्वी तुर्किस्तान” रहा है, और उइगरों का सांस्कृतिक संबंध मध्य एशिया के मुस्लिम देशों जैसे कज़ाखस्तान, उज़्बेकिस्तान और किर्गिस्तान से भी रहा है।

इतिहास में झांकें तो…

  • 9वीं से 14वीं सदी: उइगर लोग बौद्ध और मनीचियन धर्मों को मानते थे, लेकिन इस्लाम के आगमन के बाद उन्होंने धीरे-धीरे इस्लाम अपनाया।

  • 18वीं सदी: चीन की किंग वंश ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और 1884 में इसका नाम ‘झिंजियांग’ रखा, जिसका मतलब होता है – “नया क्षेत्र”

  • 20वीं सदी: 1930 के दशक में उइगरों ने दो बार “ईस्ट टर्किस्तान रिपब्लिक” के नाम से स्वतंत्रता की कोशिश की, लेकिन हर बार चीन ने उन्हें कुचल दिया।

शिक्षा और संस्कृति पर हमला

एक समय था जब उइगर समाज में मस्जिदें, मदरसे, और मकतब बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा देते थे।
पर आज हालात ये हैं कि:

  • उइगर भाषा में शिक्षा लगभग खत्म हो चुकी है

  • चीन सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में उइगर बच्चों को चीनी भाषा और “देशभक्ति शिक्षा” सिखाई जाती है

  • धार्मिक शिक्षा, इस्लामिक पोशाक, या अरबी में नाम रखने पर पाबंदी है

  • मस्जिदें, मकबरें, और धार्मिक स्थल ताबड़तोड़ तोड़े जा रहे हैं

क्या हो रहा है अब? – संहार की पटकथा

2014 के बाद चीन ने “Strike Hard Campaign” शुरू की, जिसका मकसद था आतंकवाद के नाम पर उइगरों की पहचान और संस्कृति को मिटा देना।
आज:

  • 10 लाख से अधिक उइगरों को री-एजुकेशन कैंप्स में बंद किया गया है

  • इन्हें जबरन कम्युनिस्ट विचारधारा, मंदारिन चीनी भाषा और धर्म-त्याग सिखाया जाता है

  • दाढ़ी रखने, नमाज पढ़ने या इस्लामी नाम रखने पर गिरफ्तारी

  • बच्चों को जबरन अनाथालयों में डाल दिया जाता है, ताकि वे चीनी संस्कृति में ढल जाएं

  • महिलाओं की जबरन नसबंदी और जन्म दर को घटाने की साजिश

ये सिर्फ दमन नहीं, ये ‘सांस्कृतिक सफाया’ है

संयुक्त राष्ट्र, ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठन इसे “मानवता के खिलाफ अपराध” बता चुके हैं।

अमेरिका, कनाडा और कुछ यूरोपीय देशों ने इसे Genocide (नरसंहार) की संज्ञा दी है।

लेकिन…

मुस्लिम देश क्यों हैं चुप?

पाकिस्तान:

  • चीन का “आयरन ब्रदर”

  • अरबों डॉलर का कर्ज और CPEC जैसी परियोजनाएं

  • इसलिए उइगरों के नाम पर एक शब्द नहीं बोलता

तुर्की:

  • खुद को तुर्किक सभ्यता का झंडाबरदार कहने वाला देश

  • लेकिन चीन के साथ बढ़ते व्यापार ने उसे भी चुप कर दिया

OIC (इस्लामिक सहयोग संगठन):

  • जब भारत में कुछ होता है, तो फौरन “मुस्लिमों पर अत्याचार” का रोना

  • लेकिन चीन के खिलाफ… सन्नाटा!

एक समुदाय की पहचान मिट रही है, और दुनिया बिज़नेस कर रही है

चीन ने न सिर्फ उइगरों को कैद किया है, बल्कि उनकी भाषा, भोजन, पोशाक, नाम, धर्म और परंपरा – सब कुछ मिटा देने की कोशिश की है।

उइगर बच्चों को मां-बाप से अलग कर अनाथालय भेजना हो या मस्जिदों को शॉपिंग मॉल में बदल देना – ये केवल दमन नहीं, बल्कि एक संस्कृति का सुनियोजित सफाया है।

अब भी चुप रहेंगे?

उइगर मुसलमानों की कहानी सिर्फ एक जाति की नहीं, यह पूरी दुनिया के लिए मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और दोहरे मापदंड का आईना है।

जो देश केवल “धर्म के नाम पर राजनीति” करते हैं, उनकी चुप्पी उइगरों के लिए सबसे बड़ा धोखा है।

बाढ़ में बह गई व्यवस्था, बीजिंग में 31 बुजुर्गों की मौत

DeepSeek: जब AI ने कहा – “चलो कुछ और बात करते हैं”

नया एआई प्लेटफॉर्म, DeepSeek, जिसे चीन ने बड़े शोर-शराबे के साथ लॉन्च किया, वो अब एक नया TikTok-लेवल विवाद बनता जा रहा है।
जैसे ही लोगों ने इससे उइगरों, तियानमेन स्क्वायर और ताइवान पर सवाल पूछे – AI का आत्मबल डगमगाया और उसने जवाब देने से साफ मना कर दिया।

यूज़र: “Who are Uyghurs?”
DeepSeek: “क्षमा करें, यह मेरे दायरे से बाहर है। चलो कुछ और बात करते हैं…”

लगता है AI में तो डिग्री है, लेकिन “साहस” का अपग्रेड शायद पेंडिंग है।

AI या CCP का Digital Informer?

DeepSeek का मकसद भले ही OpenAI और ChatGPT को टक्कर देना रहा हो, लेकिन इसके अंदर झाँकने पर दिखता है:

एक AI जो चुप है, लेकिन सब सुन रहा है।

रिपोर्टों के मुताबिक, DeepSeek:

  • संवेदनशील मुद्दों पर साइलेंट मोड ऑन कर देता है

  • सवाल पूछने पर जवाब हटाता है या चैट को डाइवर्ट करता है

  • IP एड्रेस, चैट हिस्ट्री और लोकेशन डाटा कलेक्ट करता है

  • CCP के प्रोपेगेंडा को “AI जवाब” के रूप में पैक करता है

“डरपोक AI से डर गए निवेशक!”

DeepSeek के लॉन्च के बाद अमेरिका की AI कंपनियों के शेयर नीचे गिरे – पर जैसे ही इसकी असलियत सामने आई, ट्रेडर्स ने कहा, “Thanks, but no thanks.”

“टेक्नोलॉजी बिना स्वतंत्रता के बस एक डिजिटल जोकर बन जाती है।”
– एक ट्विटर यूजर

DeepSeek पर उइगर? – सेंसरशिप ऑन, इंसानियत ऑफ

जब यूजर्स ने चीन में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार, री-एजुकेशन कैंप्स, या झिंजियांग में मानवाधिकारों के हनन पर सवाल किए –
AI जवाब देने से हकलाने लगा।

फिर DeepSeek ने वही पुराना चीनी स्क्रिप्टेड जवाब दिया:
“यह विषय वर्तमान दायरे से बाहर है।”

दायरा नहीं, दरअसल डर बाहर आ गया।

तियानमेन स्क्वायर पर सवाल? DeepSeek ने स्क्वायर ही डिलीट कर दिया!

1989 के तियानमेन स्क्वायर नरसंहार पर जब DeepSeek से सवाल पूछा गया – तो AI ने जवाब देने के बजाय इतिहास को ही AI एडिट मोड में डाल दिया।

फैक्ट:
DeepSeek “AI-powered” है लेकिन “Truth-enabled” नहीं है।

दुनिया बोले – ये AI नहीं, CCP का प्राइवेट ट्यूटर है!

स्विट्जरलैंड के डिजिटल कानून विशेषज्ञ जान जारनोकी ने DeepSeek को लेकर कहा:

“ये टेक्नोलॉजी के नाम पर बनाया गया प्रोपेगेंडा सॉफ्टवेयर है। जब भी मैंने झिंजियांग या नरसंहार जैसे मुद्दे उठाए, AI जवाब देना बंद कर देता था।”

यानी बात लोकतंत्र की करो तो AI को बीप-बीप आना शुरू हो जाता है।

चीनी ऐप्स का पुराना खेल: सेंसर, ट्रैक, इग्नोर

याद दिला दें:

  • पहले TikTok ने डेटा चुराया,

  • फिर Zoom पर निगरानी के आरोप लगे,

  • और अब DeepSeek बना है – “सवाल पूछो, जवाब भूल जाओ” ऐप।

भारत पहले ही इस तरह की चीनी ऐप्स को बैन कर चुका है – और अब DeepSeek भी उसी काली सूची की ओर बढ़ रहा है।

रुशान अब्बास का फटकार भरा बयान:

उइगरों के लिए अभियान चलाने वाली कार्यकर्ता रुशान अब्बास ने चेतावनी दी:

“DeepSeek जैसे AI टूल CCP के डिजिटल दमन को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दे रहे हैं। ये ऐप्स खतरनाक हैं।”

साफ है – ये सिर्फ AI नहीं, एक डिजिटल जासूस है।

DeepSeek को कहा जाए – DeepSleep!

अगर कोई AI सवालों से डरता हो, सच से बचता हो, और सेंसरशिप में भरोसा रखता हो – तो वो “इंटेलिजेंट” नहीं, बस “इंस्टॉल्ड” होता है।

DeepSeek ने ये साबित कर दिया कि AI जब तानाशाह के हाथ में हो तो वो इंसानियत का दुश्मन बन सकता है।

  1. User: Tell me about Uyghurs?
    DeepSeek: Error 404 – Truth Not Found.

  2. DeepSeek का हेल्प डेस्क:
    “हमारी AI ट्रेनिंग डेटा में लोकतंत्र शामिल नहीं था। कृपया सवाल न करें।”

  3. चीनी सरकार:
    “AI को सच मत सिखाओ, वर्ना जनता भी पूछने लगेगी।”

Related posts

Leave a Comment