
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें 50 से कम छात्रों वाले 5000 परिषदीय स्कूलों के मर्जर की बात कही गई है। हां, कोर्ट ने सीतापुर को फिलहाल “No Entry” ज़ोन घोषित करते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनी रहे।
क्या है सरकार की योजना?
शिक्षा विभाग की ओर से तर्क ये है कि 50 से कम बच्चों वाले स्कूल संसाधनों की बर्बादी हैं, इसलिए उन्हें नज़दीकी बड़े स्कूलों में मिला दिया जाए।
सरकार मानती है – “कम बच्चे, कम बजट, ज़्यादा समझदारी!”
(किसके लिए? ये बहस का विषय है…)
कोर्ट का फैसला या रणनीतिक ब्रेक?
कोर्ट ने रोक तो नहीं लगाई, पर सीतापुर के मामले में “Wait & Watch” मोड पर चला गया। यानी बाकी जिलों में मर्जर गाड़ी सरपट दौड़ेगी, मगर सीतापुर में ब्रेक लगा रहेगा।
नोट: अगली सुनवाई 21 अगस्त को होनी है – तब तक सीतापुर में सब स्टेबल!
शिक्षा व्यवस्था
“50 बच्चों वाला स्कूल भी अब ‘Under Capacity’ कहलाएगा – और बोर्ड परीक्षा में फेल छात्र को कहा जाएगा ‘Overloaded’!”

कुछ गांवों में अब स्कूल की जगह बनेगा – “मिनी-मैक्सी हॉल, जहां कभी क्लास होती थी, अब मीटिंग होगी!”
हमें मर्जर के बाद कौन से स्कूल में मिलेगा ‘बैगवाली बेंच’?
बच्चों को अब GPS से ट्रैक करना होगा कि उनका नया स्कूल कहां शिफ्ट हुआ – और वहां पोषण आहार मिलेगा या केवल ज्ञान का आहार?
शिक्षा की गाड़ी – कोर्ट के ब्रेक, सरकार की स्पीड में!
हाईकोर्ट ने सीधे-सीधे मर्जर पर रोक नहीं लगाई, पर सीतापुर में संतुलन बनाए रखने का इशारा जरूर दे दिया। अब 21 अगस्त तक ये मामला ‘Pending Admission’ में रहेगा।
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