
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मौसम कभी स्थिर नहीं रहता — कभी अखिलेश की मुस्कान ट्रेंड करती है, तो कभी योगी की ठोको नीति वायरल हो जाती है। तो ज़रा सोचिए, अगर आज ही विधान सभा चुनाव हो जाएं, तो जनता का दिल किसके नाम की “ईवीएम एंट्री” चाहेगा?
अखिलेश यादव – “बाइस में बाइसिकल”, अब “पच्चीस में प्रेशर कुकर”?
अखिलेश यादव के फैंस कहते हैं – “अबकी बार समाजवादी सरकार, क्योंकि जनता चाहती है प्यार।”
युवाओं में उनका कनेक्शन अब भी गजब का है। लखनऊ से लेकर अयोध्या तक, “नौजवान नौटंकी” और “विरासत” दोनों फिर से चर्चा में हैं।
प्लस पॉइंट: बेरोजगारी, किसान, और सोशल मीडिया पर अखिलेश की “कूल इमेज”।
माइनस पॉइंट: गठबंधन की गड़बड़ी और कुछ पुराने चेहरे जिन पर जनता का भरोसा नहीं रहा।
योगी आदित्यनाथ – “डबल इंजन” का दम या “डबल ओवरकॉन्फिडेंस”?
योगी जी के समर्थक कहते हैं – “सड़क, सुरक्षा और श्रद्धा” का तिकड़ी कोई नहीं हिला सकता! “ठोक दो” स्टाइल से लेकर बुलडोज़र ब्रांड तक, योगी की इमेज “एक्शन हीरो” वाली है।
प्लस पॉइंट: मजबूत कानून-व्यवस्था, राम मंदिर फाइनल फेज़ और मोदी फैक्टर।
माइनस पॉइंट: मंहगाई, बेरोजगारी, और टिकट वितरण में नाराज़ विधायक।
हेलो यूपी डी वोटर्स पोल क्या कहता है?
“अगर आज चुनाव हों — तो 51% वोट योगी को, 43% अखिलेश को और बाकी 6% ‘हमें कोई फर्क नहीं पड़ता’ ग्रुप को जाते।”
इससे साफ है कि मुकाबला कांटे का है, पर योगी फिलहाल “सीएम चेयर” पर थोड़ी मज़बूती से टिके हैं। लेकिन ध्यान रहे — यूपी में एक हफ्ते में भी “राजनीतिक मौसम” बदल जाता है।
जनता क्या कहती है?
बुजुर्ग मतदाता – “बाबा जी के बुलडोज़र से डर लगता है, पर भरोसा भी है।”
युवती मतदाता – “अखिलेश जी cute लगते हैं, पर काम में थोड़ा slow।”
किसान – “हमको बस MSP और बिजली चाहिए, बाकी सब खेल राजनीति का।”
यूपी का मूड “हाफ-हाफ”
कुल मिलाकर, यूपी में “जनता का मूड” अब भी “मिश्रित” है। अखिलेश यादव के पास इमोशन और सोशल मीडिया सपोर्ट है, जबकि योगी आदित्यनाथ के पास “सरकारी ट्रैक रिकॉर्ड” और पार्टी मशीनरी। अगला चुनाव अगर आज होता — तो खेल रोमांचक होता, जैसे लखनऊ में बारिश के बीच आखिरी ओवर का मैच!

