“बुलडोजर चलेगा तो चिल्लाना मत…” योगी का विपक्ष को साफ संदेश

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र की शुरुआत होते ही Codeine Cough Syrup का मुद्दा ऐसा गरमाया कि सदन का तापमान अचानक बढ़ गया। विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे ने सरकार से सीधे जवाब मांगा—और जवाब में CM योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को ऐसा घेरा कि सियासी बहस सीधी आरोप-प्रत्यारोप में बदल गई।

“पहला लाइसेंस सपा सरकार ने दिया था” – योगी का पलटवार

CM योगी ने कहा कि STF ने जिस आरोपी को सबसे पहले पकड़ा, उसे 2016 में समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान लाइसेंस दिया गया था।
योगी ने दो टूक कहा— “अगर इस मामले में बुलडोजर चलेगा, तो विपक्ष को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।”

जब फाइलें खुद बोलने लगें, तो भाषण की जरूरत नहीं पड़ती।

NDPS Act का जिक्र, सख्त कार्रवाई के संकेत

CM योगी ने दावा किया कि Codeine Syrup नेटवर्क में सपा से जुड़ा कोई न कोई नेता जरूर सामने आता है
उन्होंने साफ किया कि जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ NDPS Act के तहत मुकदमा चलेगा। कोई राजनीतिक ढाल काम नहीं आएगी।

“एक भी मौत नहीं हुई” – सरकार का Fact Check

सरकार ने सदन में स्पष्ट किया कि UP में Codeine Cough Syrup से एक भी मौत नहीं हुई है
CM योगी ने कार्रवाई के आंकड़े भी गिनाए 225 लोग नामजद, 78 गिरफ्तारियां, 134 छापेमारी।

यह बयान विपक्ष के आरोपों पर सीधा counter माना जा रहा है।

“चोर की दाढ़ी में तिनका?” – फोटो विवाद पर तंज

सपा विधायक अतुल प्रधान द्वारा आरोपी की फोटो उपमुख्यमंत्री के साथ दिखाने पर योगी ने तीखा तंज कसा— “यह तो चोर की दाढ़ी में तिनका जैसा मामला है।”

योगी का इशारा साफ था—अगर सवाल उठ रहा है, तो वजह भी कहीं न कहीं है।

अवैध डायवर्जन और STF जांच

CM योगी ने बताया कि यह मामला illegal diversion का है। STF की जांच में सामने आया है कि कुछ wholesalers ने syrup को उन राज्यों और देशों तक पहुंचाया जहां नशीली दवाओं पर प्रतिबंध है।

उन्होंने यह भी साफ किया कि UP में Codeine Syrup का production नहीं होता, यहां सिर्फ stockists और wholesalers हैं।

Law & Order vs Politics

यह बहस सिर्फ कफ सिरप तक सीमित नहीं रही। यह सवाल भी उठा— क्या विपक्ष genuine सवाल उठा रहा था? या फिर जांच की आंच से ध्यान भटकाने की कोशिश थी?

CM योगी का स्टैंड साफ रहा— Zero Tolerance + No Political Shield

Message Loud & Clear

UP Assembly से सरकार ने एक संदेश दे दिया है— नाम बड़ा हो या छोटा, कानून सबके लिए बराबर है। और अगर मामला NDPS का है, तो बहस नहीं—सीधी कार्रवाई होगी।

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