UIDAI का जबरदस्त एक्शन: मृत आधार कार्ड निष्क्रिय, फर्जीवाड़ा होगा कम

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार में कुल 12 करोड़ 9 लाख से ज्यादा आधार कार्डधारकों का आंकड़ा अब गिनती में थोड़ा “हल्का” होने जा रहा है। वजह? UIDAI ने तय किया है कि जिनका शरीर अब धरती पर नहीं है, उनके पहचान-पत्र भी डिजिटल ब्रह्मलोक भेज दिए जाएं।
अब आत्मा अमर हो न हो, आधार नंबर अमर नहीं रहेगा

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मृतकों के नाम पर योजनाओं की सवारी खत्म!

कई योजनाएं जैसे पेंशन, राशन, पीएम आवास योजना वगैरह में अब तक ऐसे लोगों को भी लाभ मिल रहा था जो शायद सालों पहले स्वर्गलोक के आधार शिविर में रजिस्ट्रेशन कर चुके थे
UIDAI ने अब ठान लिया है कि “जो गया, उसका डेटा भी जाए!”

कई योजनाएं अब कह रही हैं:
“हम मृत आत्माओं को नहीं, जीवित जरूरतमंदों को ढूंढ़ रहे हैं!”

मृत आधार नंबरों के आंकड़े

UIDAI ने बिहार में अब तक करीब 65 लाख मृतकों के आधार नंबर निष्क्रिय कर दिए हैं। अब एक्टिव आधारधारकों की संख्या रह गई है सिर्फ 11.43 करोड़
यानि अब सिर्फ वे ही आधारधारी बचे हैं जो ATM से पैसा निकालते वक्त सांस भी ले रहे हैं।

‘भूत’ के आधार से वोट, राशन और लोन — अब बस कहानी में मिलेगा

कुछ आधार कार्ड इतने एक्टिव थे कि कब्र से भी ऑनलाइन फॉर्म भरवा देते थे। UIDAI का यह फैसला आने के बाद डिजिटल भूतों की दुकानें बंद हो जाएंगी।
वोटर लिस्ट में जिनका नाम ‘पारलौकिक’ था, अब वो भी छुट्टी पर जाएंगे।

UIDAI का मिशन: ‘डेड डेटा क्लीन अप 2025’

अब UIDAI मृत्यु प्रमाण पत्र, नगर निगम की रिपोर्ट और परिवार के दावे के आधार पर हर मृतक को डिजिटल यमलोक भेजेगा।
और नहीं मिलेगा:

  • OTP

  • आधार लिंक बैंक अकाउंट

  • या स्कीम में “मोक्ष-मूल्य लाभ”।

और जीवित जनता बोले – “थैंक गॉड, मेरा आधार चल रहा है!”

लोग अब आधार केंद्र पर जाकर नहीं पूछेंगे:
“भाई, कार्ड तो बन गया पर आत्मा अभी है क्या?”

अब जीवित लोग गर्व से कहेंगे:
“मेरा आधार एक्टिव है यानी मैं जिंदा हूं!”

मृतकों को सम्मान, डेटा को आराम

UIDAI का ये फैसला सरकार की योजनाओं में पारदर्शिता और डिजिटल सफाई की दिशा में एक ‘मॉडर्न मुंडन संस्कार’ जैसा है।
अब आधार सिर्फ नाम, पता और अंगूठा नहीं, बल्कि धड़कता दिल भी मांगेगा।

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