पहलगाम आतंकी हमला: थरूर के बयान पर उदित राज का तीखा हमला, उठाए निष्ठा पर सवाल

Vijay Chaurasiya
Vijay Chaurasiya

पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को गम और आक्रोश से भर दिया है। इस दुखद घटना के बाद जहां सभी एकजुटता और संवेदना की उम्मीद कर रहे थे, वहीं कांग्रेस पार्टी के भीतर ही मतभेद सामने आए। कांग्रेस नेता शशि थरूर की खुफिया विफलता पर की गई टिप्पणी पर पार्टी के ही वरिष्ठ नेता उदित राज ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

PM मोदी-राजनाथ की सुरक्षा बैठक: पहलगाम हमले पर भारत सख्त रुख अपनाने को तैयार

क्या कहा शशि थरूर ने?

शशि थरूर ने ANI से बातचीत में पहलगाम हमले को एक संभावित खुफिया विफलता बताया। उन्होंने इसकी तुलना इजरायल पर 7 अक्टूबर के हमास हमले से की और कहा कि हमें अभी सरकार पर दोषारोपण से बचना चाहिए, जैसा इजरायल युद्ध समाप्त होने तक कर रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि:

“हम उन हमलों के बारे में नहीं जानते जिन्हें रोका गया, केवल उन्हीं के बारे में जानते हैं जो नहीं रोके जा सके।”

उदित राज की तीखी प्रतिक्रिया:

शशि थरूर की इस टिप्पणी पर उदित राज ने तीखा प्रहार किया। उन्होंने पूछा कि क्या थरूर कांग्रेस में हैं या भाजपा में?

उनका कहना था:

“थरूर जी, क्या आप सुपर-भाजपाई बनने की कोशिश कर रहे हैं?”

उदित राज ने थरूर को यह याद दिलाया कि 26/11 हमले के समय मोदी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर तीखे सवाल किए थे। उन्होंने कहा कि जब भाजपा सरकार में है, तो थरूर को सवाल भाजपा से पूछना चाहिए, बचाव नहीं करना चाहिए।

कांग्रेस बनाम कांग्रेस?

यह विवाद कांग्रेस के भीतर विचारों की विविधता और सार्वजनिक मंच पर असहमति की मिसाल है।
उदित राज ने यहां तक कह दिया कि:

“अगर कांग्रेस से फूलप्रूफ इंटेलिजेंस की उम्मीद की जाती थी, तो अब भाजपा से सवाल क्यों नहीं?”

विवाद के मुख्य बिंदु:

बिंदु शशि थरूर का रुख उदित राज की प्रतिक्रिया
हमले की वजह खुफिया विफलता BJP सरकार से जवाबदेही
उदाहरण इजरायल, अमेरिका 26/11, उरी, पुलवामा
समय अभी ध्यान युद्ध पर तुरंत सवाल जरूरी
निष्ठा संतुलित रुख भाजपा का बचाव क्यों?

राजनीतिक बयानबाज़ी या लोकतांत्रिक असहमति?

शशि थरूर का बयान एक संवेदनशील, अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण पर आधारित था, जबकि उदित राज की प्रतिक्रिया सीधी, आक्रामक और जवाबदेही की मांग करती है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि राजनीतिक दलों के भीतर भी सार्वजनिक राय के भिन्न दृष्टिकोण सामने आ सकते हैं।

ऑंखें नम कर दी! पहलगाम हमले पर अब्दुल्ला CM नहीं कश्मीर के बेटे की तरह पेश आए

पहलगाम हमले जैसे राष्ट्रीय संकट के समय राजनीतिक एकता और विवेकपूर्ण प्रतिक्रिया की उम्मीद की जाती है। हालांकि असहमति लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन उसे पार्टी के भीतर कैसे और कहां प्रकट किया जाए, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है। शशि थरूर और उदित राज का यह विवाद कांग्रेस पार्टी के लिए एक सार्वजनिक छवि का सवाल भी बन सकता है।

Related posts