50% टैरिफ से हीरा उद्योग हिला, सूरत के कारोबारी संकट में!

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन, ट्रेड एनालिस्ट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर का असर अब भारत के प्रमुख डायमंड हब सूरत पर साफ दिखाई देने लगा है। अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे डायमंड, गोल्ड और सिल्वर ज्वेलरी के एक्सपोर्ट पर भारी असर पड़ा है।

कितना बड़ा है नुकसान?

साल 2024 में भारत ने अमेरिका को $9,236 मिलियन (9.2 अरब डॉलर) मूल्य के डायमंड और ज्वेलरी का निर्यात किया था। इसके मुकाबले ब्रिटेन को सिर्फ $941 मिलियन का निर्यात हुआ। अमेरिका भारतीय आभूषणों के लिए सबसे बड़ा बाजार था, लेकिन अब टैरिफ के कारण ऑर्डर ठप हो चुके हैं।

सूरत में ऑर्डर लेने से कतरा रहे व्यापारी

सूरत की कई बड़ी डायमंड कंपनियां, जो क्रिसमस और न्यू ईयर के लिए अमेरिका से थोक ऑर्डर लेती थीं, अब ऑर्डर रद्द करने या न लेने की स्थिति में पहुंच गई हैं। फेस्टिवल सीजन में अंतरराष्ट्रीय बाजारों की कुल बिक्री का 50% हिस्सा इन्हीं महीनों में होता है। टैरिफ ने इस संभावित कमाई पर पानी फेर दिया।

हीरा निर्यात कितना गिरा?

कटे और पॉलिश किए हुए हीरों (CPD) का निर्यात:

  • 2021-22 में: $9.86 अरब

  • 2024-25 में: $4.81 अरब

यानि लगभग 50% गिरावट। नए टैरिफ लागू रहने पर यह गिरावट और तेज हो सकती है।

एक लाख नौकरियों पर संकट

गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के लाखों लोग डायमंड इंडस्ट्री से जुड़े हैं — जैसे:

  • कटिंग और पॉलिशिंग

  • ज्वेलरी डिजाइनिंग

  • गोल्ड-सिल्वर प्रोसेसिंग

टैरिफ के कारण निर्यात घटेगा तो उद्योगों में उत्पादन घटेगा, जिससे कम से कम 1 लाख नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी।

इजराइल बन रहा विकल्प?

अमेरिका द्वारा आयात किए जाने वाले हीरों का 28% हिस्सा इजराइल से आता है, और अब संभावना है कि भारत के हिस्से की खपत इजराइल से पूरी की जा सकती है। इससे भारत की बाजार हिस्सेदारी में और गिरावट हो सकती है।

ट्रंप के फैसले से क्या उम्मीद?

अमेरिका घरेलू बाजार को बचाना चाहता है, लेकिन इसके असर से भारत की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का लग सकता है। अगर वार्ता से समाधान नहीं निकला तो हीरा उद्योग में मंदी तय है।

“डायमंड हमेशा चमकते हैं, लेकिन व्यापार नीतियों की परछाई में उनकी रौशनी भी फीकी पड़ जाती है।”

ट्रंप के टैरिफ वॉर ने भारत के सबसे चमकदार उद्योग — हीरा कारोबार — को अंधकार में धकेल दिया है। जरूरत है सरकार और उद्यमियों की एकजुट रणनीति की, ताकि इस वैश्विक चुनौती का मुकाबला किया जा सके।

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