
जब पूरी दुनिया इस बात में उलझी है कि अगली महाशक्ति कौन बनेगा, डोनाल्ड ट्रंप ने सीधा सऊदी अरब की फ्लाइट पकड़ ली। अमेरिका के 78 वर्षीय “डील किंग” अब खाड़ी देशों के साथ कारोबार, रक्षा और कूटनीतिक चमक का नया स्क्रिप्ट लिखने पहुंचे हैं। और हां, अपने अंदाज़ में — रेड कार्पेट, गोल्डन कप चाय और “एक ट्रिलियन डॉलर और डालो भाई” जैसी मांगों के साथ।
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सऊदी में डील, दोहा में डिनर और अबूधाबी में डंका
ट्रंप इस बार फिर पश्चिमी सहयोगियों को बाय-बाय कर मिडिल ईस्ट में उतर गए हैं। उनका मानना है कि जहां तेल है, वहीं असली व्यापार है। ट्रंप की स्पोक्सपर्सन कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह “ऐतिहासिक वापसी” होगी। उधर, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ट्रंप को 600 अरब डॉलर की झलक दिखाई, तो ट्रंप बोले,
“600 अरब? ट्रिलियन करो ना भई!”
F-35 और ‘Delivery in My Term’ ऑफर
रियाद में ट्रंप के स्वागत के साथ-साथ चर्चाएं हैं कि सऊदी अरब ट्रंप से F-35 फाइटर जेट्स और हाई-एंड एयर डिफेंस सिस्टम की डील चाहता है — लेकिन शर्त ये कि डिलीवरी ट्रंप के कार्यकाल में ही हो।
जैसे कि यह एक Amazon प्राइम ऑर्डर हो:
“सर, guaranteed delivery by 2028!”
कूटनीति या कॉमेडी सर्कस?
ट्रंप के दौरे से एक दिन पहले ही उन्होंने दावा किया कि:
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भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उन्होंने कराया।
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गाज़ा में आखिरी अमेरिकी बंधक की रिहाई हो गई।
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ईरान से परमाणु बातचीत फिर शुरू हो गई।
यानी जो काम UNSC 3 साल में न करे, ट्रंप ट्वीट में निपटा दें।
डील बनाम डिप्लोमेसी: मिडिल ईस्ट के रुख की तस्वीर
जहां कतर इजरायल-हमास संघर्ष में मिडिएटर बन चुका है और सऊदी यूक्रेन-रूस वार में भी थिंक टैंक जैसा रोल निभा रहा है — ट्रंप का इस क्षेत्र को फिर से गले लगाना साफ दिखाता है कि ये देश सिर्फ तेल के लिए नहीं, जियोपॉलिटिक्स के दिल की धड़कन बन चुके हैं।
ट्रंप की मिडिल ईस्ट यात्रा सिर्फ डिप्लोमेसी नहीं, एक बिज़नेस टूर विथ ए पंचलाइन है। जहां दुनिया “शांति” के लिए परेशान है, वहां ट्रंप “डील” के लिए दौड़ रहे हैं — और कह रहे हैं:
“You get oil, I get F-35 sales. Fair enough?”
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