ट्रंप-ईरान-फोर्दो-रूस-यूक्रेन – वैश्विक ड्रामा एक साथ!

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन

NATO मीटिंग के मंच पर खड़े अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा बयान दे दिया जिसने मध्य-पूर्व की राजनीति में नया ट्विस्ट ला दिया। उन्होंने कहा – “ईरान ने जंग लड़ी, और बहादुरी से लड़ी।”

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यानी जिस ईरान को अमेरिका एक दशक से “आतंकी समर्थक राष्ट्र” घोषित करता आ रहा था, अब वही बहादुरी का प्रतीक बन गया! ट्रंप का बयान ऐसा था जैसे WWE के मैच में हारने वाला फाइटर भी “सैल्यूट के लायक” घोषित हो जाए।

फोर्दो परमाणु परिसर – अब सिर्फ नाम का ‘न्यूक्लियर’?

इसराइली एटॉमिक एनर्जी कमीशन का दावा है कि अमेरिका और इसराइल के हमलों ने ईरान का फोर्दो परमाणु प्लांट लगभग निष्क्रिय कर दिया है। इजरायल ने कहा, “फोर्दो के ढांचे बर्बाद कर दिए गए हैं, और अब ईरान की क्षमता कई वर्षों तक पीछे जा चुकी है।”

लेकिन वहीं दूसरी ओर, पेंटागन की लीक हुई रिपोर्ट कहती है कि नहीं… “कुछ महीनों से ज़्यादा पीछे नहीं गया।”

ये कुछ वैसा ही है जैसे किसी का घर फूंका जाए और बाद में कहा जाए, “दीवारें तो अभी खड़ी हैं।”

रूस ने IAEA से कहा – “अब हमारा रिश्ता खत्म!”

ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद रूस ने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग समाप्त करने की घोषणा कर दी।
रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था अब निष्पक्ष नहीं रही। ईरान पर बिना कारण हमला हुआ।”

रूस ने यह संकेत भी दिया कि IAEA की ‘साख’ को नुकसान हुआ है। यह सिर्फ एक गठबंधन का अंत नहीं, एक गहरी डिप्लोमैटिक चोट है—जिसका असर लंबा चलेगा।

चीन की नाराज़गी – “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन”

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपने ईरानी समकक्ष से फोन पर बात कर कड़ी प्रतिक्रिया दी। चीनी मंत्रालय ने एक्स (Twitter) पर बयान जारी कर कहा, “यह हमला अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है। इससे परमाणु रिसाव की गंभीर आशंका पैदा हो गई है।”

चीन ने दो टूक कहा – “हम ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा के साथ खड़े हैं।”

क्या ट्रंप का बयान अगली जंग की जमीन है?

जब ट्रंप कहते हैं – “ईरान अब अपनी दुनिया में वापस जा रहा है… परमाणु खत्म हैं…”

तो ये सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि उस डिप्लोमेटिक ‘मीठे जहर’ की तरह है जो तारीफ़ की शक्ल में तमाचा है। सवाल यह भी है कि क्या यह नई बातचीत की शुरुआत है? या बस एक नई ‘पावर गेम’ की ओपनिंग लाइन?

बहादुरी, बम और बयानबाज़ी की तिकड़ी

ट्रंप – अपने बयान से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं,

ईरान – ‘जख्मी शेर’ की तरह मजबूती दिखाता है,

इसराइल और अमेरिका – ताकत के खेल में आगे बढ़ते हैं,

रूस और चीन – शब्दों से युद्ध का मैदान सजाते हैं।

और दुनिया?
वो पूछ रही है – “क्या यह शांति की ओर एक और छलावा है? या परमाणु राजनीति का नया खेल?”

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