
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने समाज के उपेक्षित और वंचित वर्ग — ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों — के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। अब 60 वर्ष से अधिक आयु के ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को राज्य सरकार द्वारा संचालित वृद्धाश्रमों में विशेष सुविधा दी जाएगी।
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इस योजना के अंतर्गत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आश्रय, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य जांच, दवाएं, मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग, और आयुष्मान भारत योजना की सुविधाएं दी जाएंगी। साथ ही उन्हें मासिक पेंशन भी प्रदान की जाएगी, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
हर जिले में सक्रिय ट्रांसजेंडर सुरक्षा सेल
राज्य सरकार ने हर जिले में “ट्रांसजेंडर सुरक्षा सेल” स्थापित की है, जो उनकी सुरक्षा, उत्पीड़न से रक्षा और त्वरित सहायता सुनिश्चित करती है। ये सेल जिलाधिकारी के अधीन संचालित होती हैं और कानूनी मदद, पुलिस संरक्षण, तथा सामाजिक पुनर्वास जैसी सेवाएं प्रदान करती हैं।
वृद्धाश्रमों में संवेदनशील देखभाल व्यवस्था
उत्तर प्रदेश के वृद्धाश्रम अब ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए हैं। इनमें योग, ध्यान, पुस्तकालय, सामुदायिक गतिविधियां और मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग जैसे कार्यक्रमों से ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों को एक सकारात्मक और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
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ट्रांसजेंडर कल्याण के लिए योजनाएं
उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड का गठन
गोरखपुर में पहला गरिमा गृह स्थापित
1,067 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान पत्र जारी
248 ट्रांसजेंडर छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान
सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए पंजीकरण कार्य जारी
प्रमुख सचिव, समाज कल्याण एल. वेकेंटेश्वर लू ने कहा:
“सरकार का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय का सामाजिक, मानसिक और आर्थिक सशक्तिकरण करना है। आने वाले समय में और योजनाएं लाई जाएंगी और प्रचार-प्रसार के लिए NGOs की मदद ली जाएगी।”
उत्तर प्रदेश की यह पहल न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय को गरिमा और अधिकार दिलाने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह सामाजिक समरसता की मिसाल भी है। ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह योजना उन्हें वह सम्मान और देखभाल प्रदान करेगी जिसकी वे दशकों से प्रतीक्षा कर रहे थे।