
अक्सर लोग सोचते हैं कि भारत में iPhone बनता है, लेकिन हकीकत थोड़ी अलग है। यहाँ जानिए:
मैन्युफैक्चरिंग क्या है?
कच्चे माल से लेकर पार्ट्स तक सब कुछ खुद बनाना – यही असली निर्माण है। उदाहरण: अगर Apple चिप्स, डिस्प्ले, बैटरी भारत में बनाए और फिर iPhone बनाए, तो यह मैन्युफैक्चरिंग होगी।
असेंबली क्या है?
यह केवल अलग-अलग देशों से आए पार्ट्स को जोड़ने की प्रक्रिया है। यही फिलहाल भारत और चीन में हो रहा है।
iPhone की असेंबली कहां होती है?
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Foxconn – चेन्नई, तमिलनाडु
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Pegatron – चेन्नई
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Wistron (अब Tata Group के अधीन) – बेंगलुरु
यहाँ सिर्फ असेंबली होती है – चिप्स, कैमरा, डिस्प्ले जैसी चीजें दूसरे देशों से आती हैं। कुछ छोटे कंपोनेंट्स जैसे चार्जर व केबल अब भारत में बनने लगे हैं।
ट्रंप के बयान के मायने क्या हैं?
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अमेरिका का “Made in America” एजेंडा मजबूत करने की कोशिश।
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चीन और भारत को उत्पादन के लिए कम प्राथमिकता देना।
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घरेलू वोटर्स को यह दिखाना कि वे अमेरिकी जॉब्स की रक्षा कर रहे हैं।
लेकिन सच्चाई यह है कि Apple जैसी कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग के लिए सस्ते श्रम, बेहतर सप्लाई चेन और टैक्स इंसेंटिव्स चाहिए – जो फिलहाल अमेरिका नहीं दे पाता।
भारत के लिए संकेत या अवसर?
भारत को यह समझने की ज़रूरत है कि सिर्फ असेंबली से आत्मनिर्भरता नहीं आती। अगर Apple जैसी कंपनियां भारत में असली मैन्युफैक्चरिंग करें –
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तो भारत टेक्नोलॉजी हब बन सकता है,
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लाखों नौकरियां पैदा हो सकती हैं,
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और चीन की निर्भरता भी घट सकती है।
ट्रंप का बयान एक चुनौती भी है और एक मौका भी – भारत के लिए यह सोचने का समय है कि ‘Assemble in India’ को ‘Manufacture in India’ में कैसे बदला जाए।