
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के थांदला थाना क्षेत्र के नोगावा चौकी के पास सजेली फाटक पर देर रात करीब 2 बजे एक भीषण सड़क हादसा हुआ। शादी समारोह से लौट रहा एक ही परिवार मौत की नींद सो गया।
9 लोगों की मौके पर ही मौत
तेज रफ्तार ट्रक ने सामने से आ रही कार को इतनी ज़ोर से टक्कर मारी कि कार के परखच्चे उड़ गए। हादसे में कार में सवार 9 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई — जिनमें 2 पुरुष, 3 महिलाएं और 4 मासूम बच्चे शामिल हैं।
दो बच्चियों की हालत गंभीर
हादसे में दो छोटी बच्चियां गंभीर रूप से घायल हुईं जिन्हें गांववालों की मदद से पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालत चिंताजनक बताई जा रही है।
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रफ्तार का आतंक या सिस्टम की नींद?
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि तेज रफ्तार और लचर ट्रैफिक व्यवस्था मिलकर किस कदर मौत को दावत दे रही हैं।
हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं, लेकिन सवाल वही हैं:
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ट्रकों की गति सीमा कौन मॉनिटर करता है?
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हाईवे पर रात में कौन देखता है कि ड्राइवर नशे में है या नींद में?
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ऐसी घटनाओं के बाद सिर्फ जांच की रस्म अदायगी क्यों होती है?
गांव में पसरा मातम, जिम्मेदार कौन?
उंडीखाली शिवगढ़, देवगढ़ गांव के ये सभी लोग मानपुर में एक शादी समारोह से लौट रहे थे। जश्न से लौटते हुए इस कदर मातम में तब्दील हो जाना किसी के लिए भी दिल तोड़ने वाला है। पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है, और सवाल अब यह है कि क्या इनकी मौत सिर्फ ‘हादसा’ थी या सिस्टम की लापरवाही?
प्रशासन की जांच और लोगों का गुस्सा
प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंच चुकी है और जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा साफ है — “हर बार जांच होती है, फिर फाइलें धूल खाती हैं, और अगली रात फिर कोई हादसा हो जाता है।”
अब भी न जागे तो कब?
सड़क पर चलना अब भगवान भरोसे है। सिस्टम, कानून और सुरक्षा केवल कागजों में है — और जब तक ये कागज़ फटेंगे नहीं, तब तक किसी और का घर उजड़ता रहेगा।
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