
जब से अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद पर वापसी की चर्चा शुरू हुई, भारत में कुछ लोगों ने सोचा था कि जैसे ही ट्रंप आएंगे, भारत के लिए रेड कारपेट बिछ जाएगा। मगर अब, ये सपने सिर्फ हवा में उड़ते गुब्बारे साबित हो रहे हैं, और वे खुद राजनीतिक सर्कस के सितारे बन चुके हैं।
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“ट्रंप की वापसी = भारत की VIP लिस्ट में पहला नाम!” — ये कहावत अब फिजूल की लगती है।
सपने जो टूट गए, मज़ाक जो बन गए
जिन्होंने ट्रंप की उम्मीदों पर अपनी राजनीतिक चमक देखने की कोशिश की, वे अब खुद हँसी के पात्र बन गए हैं। भारत के लिए विशेष दर्जा और आकर्षक डीलों का लालच दिखाने वाले अपने बयान अब इंटरनेट के मीम्स में खो गए हैं।
ट्रंप या टॉपलेस कागज?
ट्रंप की असलियत कुछ और है — अमेरिका की नीतियां, वैश्विक राजनीति, और भारत के साथ संबंध ट्रंप के आने-जाने से कहीं ज्यादा जटिल हैं। रेड कारपेट तो छोड़िए, कभी-कभी तो कागज भी फटे नजर आते हैं।
राजनीतिक सर्कस की हंसी
इस पूरी कहानी में मज़ाक तब बन जाता है जब खुद उन्हीं लोगों को देखो, जो ट्रंप के चुनाव जीतने पर अपनी राजनीति चमकाने के सपने देख रहे थे, अब सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हो रहे हैं।
ट्रंप के नाम पर भारत के लिए रेड कारपेट बिछाने के सपने अब फिजूल साबित हो रहे हैं। राजनीति में मज़ाक बनने से बेहतर है, कि हम हकीकत को समझें और वाकई में क़दम उठाएं।
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