
हमने आतंकी धमकियों में यह लाइन सुनी — “मोदी को बता देना…”। ये सुनकर कभी हम गुस्सा होते थे, कभी सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता करते थे। लेकिन अब वही ‘बोल’ भारत के भीतर, खाकी वर्दी पहने, सिस्टम का हिस्सा बने लोगों की जुबान पर आ गया है।
“CM से भी नहीं डरता!” — लखनऊ में महिला से वसूली, पति की जमकर पिटाई
लखनऊ में दरोगा ने कहा – “CM योगी से नहीं डरता”
लखनऊ के गोमतीनगर में एक ढाबा चलाने वाली महिला के मुताबिक, स्थानीय दरोगा मनीष मिश्रा ने खुलेआम कहा, “न मैं CM योगी से डरता हूं, न किसी और से।” वो महिला से हफ्ता वसूली के चक्कर में उसके पति को चौकी ले जाकर पीटता है, धमकी देता है, और पूरे मामले पर रत्तीभर पछतावा नहीं।
क्या ये कानून का राज है या पुलिस का निजी व्यापार?
जब वर्दी वाले ही वसूली करें, धमकाएं, और फिर अपने ऊपर कोई डर न हो — तो ये ‘कानून का राज’ तो नहीं कहा जा सकता। बल्कि ये एक निजी ठेका बन गया है — ‘दरोगा एंड ब्रदर्स प्राइवेट लिमिटेड’ — जहां कानून सिर्फ आम आदमी पर चलता है, बाकी सब “मैं तो किसी से नहीं डरता” के पीछे छुप जाते हैं।
अब डर किससे? आतंकी, दरोगा या सिस्टम?
एक तरफ आतंकवादी धमकी देते हैं, दूसरी तरफ पुलिस वाले सरकारी ताकत का धौंस दिखाकर खुद को ‘CM से ऊपर’ बताने लगते हैं। तो फिर आम आदमी किससे डरे? किससे उम्मीद रखे?
और सरकार…? वो अपने ‘प्रेस रिलीज़ मोड’ में है!
इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, महिला आंसुओं में न्याय मांग रही है, लोग गुस्से में हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं। शायद वो भी सोच रहे हों — “हम भी किससे डरें?”
जब सिस्टम ही ठहाके मारने लगे…
जब सिस्टम का रखवाला ही खुलेआम कहे — “CM से नहीं डरते…”, और कोई सजा न मिले, तो मान लीजिए कि लोकतंत्र अब ‘लाउडस्पीकर डेमोक्रेसी’ में बदल चुका है — जहां सिर्फ भाषण चलते हैं, न्याय नहीं।