अयोध्या की पावन धरती पर भव्य राम मंदिर का निर्माण सिर्फ एक धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि स्थापत्य कला और वैज्ञानिक सोच का अद्भुत संगम है। विशेष रूप से प्रथम तल पर विराजमान राम दरबार की मूर्ति इस समर्पण और साधना की प्रतीक है। “रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई।”श्रीराम के वचनबद्ध चरित्र की यह झलक आज भी मंदिर की भव्यता में जीवित है। “बोलिए सियावर रामचंद्र की जय, पावन करे वाणी।भक्ति से ओतप्रोत श्रद्धालुओं की वाणी में आज यही गूंज है। 40 साल पुराना संगमरमर:…
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