मित्रों, ज्ञान एक मुफ्त चीज़ है— बस दिमाग का थोड़ा सा स्पेस चाहिए। इसी स्पेस की कमी के कारण लोग धर्मपरायण (भावना) और धर्मांधता (अंधभावना) को एक ही समझ लेते हैं। और फिर बोलते हैं— “किसी ने बताया ही नहीं।” तो आज सुन लीजिए, समझ लीजिए… और सेव करके रखिए। 1. धर्मपरायणता क्या है? – Faith with Logic धर्मपरायण होना मतलब— ईश्वर में विश्वास रखना, सदाचार, करुणा, संयम, सेवा जैसे मूल्यों का पालन करना। तर्क और अध्यात्म दोनों को साथ लेकर चलना। ये वही लोग होते हैं जो पूजा भी…
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शुरू के 60-70 साल ही मुश्किल हैं… फिर तो लाइफ सच में रिटायरमेंट प्लान
बचपन – “दूध पी लो, स्कूल जाओ, नंबर लाओ” पहला दशक जाता है इस खोज में कि बड़ा कब होंगे?और जब हो जाते हैं, तो एहसास होता है – “बचपन ही सही था रे बाबा!” जवानी – “करियर बनाओ, शादी करो, EMI भरो” 20 से 40 के बीच का जीवन तो एक तरह से जिंदगी का लोन पे लोन वाला EMI टूल है। करियर बनाए नहीं कि शादी की फाइल खुल जाती है, और फिर क्रेडिट कार्ड के बिल, बच्चों की फीस और पेट्रोल की कीमतें आपका “मूड स्विंग” तय करती हैं।…
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