सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल ही नहीं, Confusion भी बढ़ा दिया। कोर्ट ने अपने ही 8 अप्रैल वाले फैसले को पलटते हुए साफ कहा, राज्यपाल या राष्ट्रपति को विधेयकों पर कोई तय समयसीमा नहीं दी जा सकती। अगर वे समय पर फैसला न लें, तो “मानी हुई सहमति” (Deemed Assent) भी लागू नहीं होगी। यानी सीधे शब्दों में—“Governor भी अपनी टाइमिंग से काम करेंगे, और President भी… कोर्ट इस घड़ी में अलार्म नहीं लगाएगा।” क्या कहा संविधान पीठ ने?—“हम Executive की…
Read More