“युद्धविराम या युद्ध का ब्रेक?” ग़ज़ा में डर अभी बाकी है!

जिस घड़ी का लोगों को महीनों से इंतज़ार था — युद्धविराम और बंधकों की रिहाई का समझौता, वो जैसे ही घोषित हुआ, ग़ज़ा की सड़कों पर उम्मीद की हल्की सी रौशनी दिखी। लेकिन यह उम्मीद ज़्यादा देर नहीं टिकी। अब वहां की हवा में ख़ुशी से ज़्यादा उलझन और डर है। इसराइली सेना की वापसी… लेकिन पूरी नहीं स्थानीय सूत्रों के मुताबिक़, इसराइली सैनिकों ने ग़ज़ा सिटी के उत्तर-पश्चिमी बाहरी इलाक़ों से आंशिक वापसी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि वे “येलो लाइन” नामक एक सीमित क्षेत्र…

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ग़ज़ा सिटी से फ़लस्तीनियों का दर्दनाक पलायन, इंसानियत की हार

इसराइल द्वारा ग़ज़ा सिटी पर ज़मीनी हमला शुरू किए जाने के एक दिन बाद, वहां से हज़ारों फ़लस्तीनी नागरिकों का पलायन शुरू हो गया है। ट्रकों, साइकिलों और पैदल चलती भीड़… जिनके पास कोई ठिकाना नहीं, कोई सुरक्षा नहीं।शहर अब केवल खंडहरों में तब्दील हो रहा है। इसराइली सैन्य दावा: “हमास का आख़िरी गढ़” इसराइली सेना का दावा है कि उन्होंने दो दिनों में 150 से अधिक “आतंकवादी ठिकानों” पर हमला किया है।उनका लक्ष्य – हमास के 3000 लड़ाकों को हराना, बंधकों को छुड़ाना लेकिन इस सैन्य ऑपरेशन के बीच…

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“ग़ज़ा को हथियार नहीं, राहत चाहिए” – ब्रिटिश PM का नेतन्याहू को सीधा मैसेज

ग़ज़ा संकट पर एक अहम मोड़ लेते हुए, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने इज़राइली सरकार द्वारा ग़ज़ा पर नियंत्रण की योजना को स्पष्ट रूप से “ग़लत” बताया है। उन्होंने इसराइली कैबिनेट से अपील की है कि वह इस फैसले पर “तत्काल पुनर्विचार” करें। स्टार्मर ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए की, जहां उन्होंने कहा: “ग़ज़ा में अपने हमले को और बढ़ाने का इसराइली सरकार का फ़ैसला ग़लत है। हम उनसे तुरंत इस पर पुनर्विचार करने की अपील करते हैं।” “ग़ज़ा में…

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