देशभक्ति हमेशा लाल किले की दीवारों से नहीं निकलती, कभी-कभी वो दूर पहाड़ों में खड़े दो छोटे बच्चों की आवाज़ बनकर आती है। कहां पर?हिमालय की ऊँचाइयों पर, जहां बादल भी पास होने के पैसे लेते होंगे। “जय हिंद साब!” — और हवा भी रुक गई दो नन्हे बच्चे, हाथ उठाकर एक सैनिक को सलामी देते हैं और मासूम आवाज़ में चिल्लाते हैं— “जय हिंद साब!” लोग कहते हैं देशभक्ति सिखानी पड़ती है…पर भाई, यहां तो nature-born patriotism है — जैसे पहाड़ों में ऑक्सीजन कम हो पर गर्व ज़्यादा। ये पल…
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