आशा पारेख ने जमुना के किरदार में ऐसा जान डाल दिया है कि लगेगा कि आपके मोहल्ले की कोई “कठिन ज़माने की औरत” बोल रही है।बेच दी गई, बंधक बनाई गई, और फिर भी बिना शादी के एक आदमी और उसके बच्चों की ज़िम्मेदारी उठाई — जमुना संघर्ष की चलता-फिरता प्रतीक बन जाती हैं। रिश्तों का मेलोड्रामा: शादी नहीं, पर संस्कार पूरे! जमुना और जगदीश शर्मा (राजेंद्र कुमार) का रिश्ता बिना शादी के पति-पत्नी जैसा दिखाया गया है। ये फिल्म 70s की होते हुए भी एक “लिव-इन विद सेंटीमेंट्स” वाला…
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