रेट्रो रिव्यू गुड्डी: जब क्रश का इलाज असलियत से होता था

बात उस दौर की है जब सिनेमा ब्लैक एंड व्हाइट से कलर में, और दर्शक रजनीगंधा से रोमांस में बदल रहे थे। लेकिन उसी दौरान आई एक ऐसी फिल्म जिसने सिखाया कि हीरो रील पर जितना चमकता है, रियल में उतना ही पसीना बहाता है। कुसुम उर्फ गुड्डी – बॉलीवुड फैनगर्ल का OG वर्ज़न जया भादुरी (अब बच्चन) की डेब्यू फिल्म “गुड्डी” में वह एक स्कूल की छात्रा हैं, जो धर्मेंद्र की ऑल-इन-वन फैन, फॉलोअर और फ्यूचर वाइफ बनना चाहती है। स्कूल के होमवर्क में “A for Apple” की जगह…

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रेट्रो रिव्यू : ‘बिन फेरे हम तेरे’ – शादी के बिना भी पूरी ज़िंदगी का साथ

आशा पारेख ने जमुना के किरदार में ऐसा जान डाल दिया है कि लगेगा कि आपके मोहल्ले की कोई “कठिन ज़माने की औरत” बोल रही है।बेच दी गई, बंधक बनाई गई, और फिर भी बिना शादी के एक आदमी और उसके बच्चों की ज़िम्मेदारी उठाई — जमुना संघर्ष की चलता-फिरता प्रतीक बन जाती हैं। रिश्तों का मेलोड्रामा: शादी नहीं, पर संस्कार पूरे! जमुना और जगदीश शर्मा (राजेंद्र कुमार) का रिश्ता बिना शादी के पति-पत्नी जैसा दिखाया गया है। ये फिल्म 70s की होते हुए भी एक “लिव-इन विद सेंटीमेंट्स” वाला…

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