अब त सुनते-सुनते कान पक गइल, बाबू! “संविधान बदल देब!” “नई धारा ला देब!” “देश के दिशा पलट देब!” अरे हो!संविधान त हमरे बड़-बुजुर्ग लिख के दे गइलें, ऊ त कहेला—”सब बराबर हईं।” बाकिर हम का करत बानी?जात देख के दोस्ती, बिरादरी देख के वोटिंग, अउर इलाका देख के दुश्मनी! कोरिया हमसे बाद में आज़ाद भइल—आज देखीं उ कहाँ बा! हम? अबहिन भी कंचनपुरिया बनाम बेलभरिया में फँसल बानी। एसे पूछत हई—संविधान बदल के का एटलस रॉकेट उड़ाइब?जब दिमाग अबहिन भी जात-पात के दलदल में फँसल बा, तब त सोच बदलल ज़रूरी…
Read MoreTag: समाज सुधार
डार्लिंग, धर्म कोई स्टार्टअप नहीं है! पहले ग्रंथ पढ़ो, फिर प्रवचन दो
आजकल धर्म इतना “ट्रेंडिंग” हो गया है कि कुछ लोग इसे स्पिरिचुअल स्टार्टअप बना बैठे हैं। सोशल मीडिया पर दो श्लोक, तीन कहानी और चार चुटकुलों के साथ “धर्मगुरु” बनना जैसे कोई कोर्स हो गया हो। पर, डार्लिंग… धर्म कोई स्क्रिप्टेड शो नहीं है! बल्ले-बल्ले! MSP पर मूंग-उड़द की खरीद का ऐलान धर्मग्रंथ पढ़ो, फिर प्रवचन दो उपदेश देना जितना आसान है, धर्मग्रंथों को सही से पढ़ना उतना ही गंभीर और आवश्यक कार्य है। हर श्लोक का मतलब होता है संदर्भ सहित। लेकिन “क्लिप-बेस्ड आध्यात्म” का दौर चल पड़ा है –…
Read Moreअहिल्याबाई होळकर: न्यायप्रिय शासिका, जिसने विकास को पूजा समझा
अहिल्याबाई होळकर, मराठा साम्राज्य की एक ऐसी रानी थीं, जिनके विकास कार्य आज की सरकारों को आइना दिखाते हैं। एक समय जब राजा अपनी तिजोरी से जनसेवा करते थे, आज के नेता सरकारी खजाने से “जन-सेवा के नाम पर” सेल्फी लेते हैं। बीजेपी ने खुर्शीद को गले लगाया, राहुल को 1000 साल का PM बैन! जन्म और शुरुआती जीवन 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गांव में जन्मी अहिल्याबाई, न सिर्फ एक रानी थीं बल्कि सामाजिक सुधार की अग्रदूत भी थीं। विधवा होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं…
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