भारतीय संस्कृति में विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो आत्माओं और दो परिवारों का संगम होता है। यह केवल एक सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से पवित्र बंधन है, जिसमें अग्नि को साक्षी मानकर वर और वधू सात फेरे लेते हैं। इन सात फेरों के साथ जुड़े होते हैं सात वचन, जो वैवाहिक जीवन के मूल स्तंभ होते हैं। हर वचन केवल एक वादा नहीं, बल्कि जीवनभर के लिए एक दायित्व, एक प्रतिबद्धता होती है जो दंपति के रिश्ते को प्रेम, सम्मान और निष्ठा की…
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