“मैं हूं रूमी दरवाजा… ना की तुम्हारी पार्किंग लॉट ”लखनऊ वालों” !”

मैं वक्त हूं, नवाबी दौर की पहचान। मैं खड़ा हूं उसी जगह पर जहां से लखनऊ की तहज़ीब की पहली झलक मिलती है।मैं हूं रूमी दरवाजा। जिसने नवाबों को, अंग्रेजों को, आज़ादी के मतवालों को और अब तुम सबको भी देखा है। लेकिन आज — तुम मुझे देख नहीं रहे हो। तुम मेरी मेहराबों में इतिहास नहीं, बस अपनी SUV और बाइक की जगह ढूंढते हो। “इतिहास की गोद में अब गाड़ियां पल रही हैं” कभी जहां इश्क-ओ-इंकलाब की बातें होती थीं, आज वहां “गाड़ी यहां लगाओ तो साया मिलेगा” जैसी…

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“हुज़ूर, ये ‘विकास’ है या ‘इतिहास’ का अंतिम संस्कार?” रूमी दरवाज़ा पार्किंग!

एक तरफ़ सरकारें पर्यटन बढ़ाने के दावे कर रही हैं, दूसरी तरफ़ लखनऊ की पहचान रूमी दरवाज़ा को बना दिया गया है कारों की आरामगाह। जी हां, अब गूगल मैप पर रूमी दरवाज़ा ढूंढिए, तो इतिहास नहीं, पार्किंग स्लॉट दिखता है। जब धरोहर पर पार्क हुई गाड़ियाँ उत्तर भारत की मशहूर मुगल और नवाबी वास्तुकला का प्रतीक रूमी दरवाज़ा अब चार पहियों के कब्जे में है।जहाँ पहले टूरिस्ट्स फोटो खिंचवाते थे, अब लोग गाड़ी खड़ी करके ‘हॉर्न’ बजा रहे हैं। यानी, “जहाँ तहज़ीब खड़ी होती थी, अब वहाँ SUV खड़ी…

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मां कसम लखनऊ तो बहुत घुमने गए होगे, लेकिन “तुर्किश गेटवे” नहीं देखा होगा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ देश के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में एक खास मुकाम रखती है। अपनी नजाकत, तहजीब और बहुरंगी संस्कृति के लिए मशहूर यह शहर देश-विदेश के पर्यटकों को सदैव आकर्षित करता रहा है। गर्मियों की छुट्टियां बिताने के लिए लखनऊ एक बेहतरीन विकल्प है। सिर्फ’राजा भैया’ ही नहीं, एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत है प्रतापगढ़ नवाबी तहजीब और अद्भुत विरासत लखनऊ अपनी चिकनकारी कला, दशहरी आम के बागों, और बहुरंगी तहजीब के लिए विश्वप्रसिद्ध है। ऐतिहासिक अवध क्षेत्र में बसे इस शहर ने शिया नवाबों के…

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