लड़ लो भाई! हथियारों से ग्लेशियर तो पिघलेंगे नहीं

दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का संकट बढ़ रहा है, तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है, लेकिन महाशक्तियों को इससे ज़्यादा चिंता इस बात की है कि किसका बॉर्डर कितना बड़ा है। ईरान और इजराइल एक-दूसरे पर मिसाइलें तान चुके हैं, वहीं रूस और यूक्रेन तो जैसे युद्ध के स्थायी किरायेदार बन चुके हैं। लगता है जैसे “ग्लोबल वॉर्मिंग” से ज्यादा जरूरी है “जियो-पॉलिटिकल वार्मिंग”। Ansal API: प्रॉपर्टी के नाम पर झुनझुना, अब जांच टीम का डंडा! पिघलती बर्फ, लेकिन नीयत नहीं हिमालय से लेकर आर्कटिक तक बर्फ तेज़ी से पिघल…

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बहराइच और गोरखपुर चैन से सोए, क्योंकि तिरंगा इस बार इस्लामाबाद में लहराना है!

जब INS विक्रांत से मिग-29 उड़ रहा था और तेजस पाकिस्तान के रडार में तूफान बन चुका था, उसी वक्त बहराइच में हर चायवाले ने चाय पर दो चम्मच शक्कर ज़्यादा डाल दी। वजह? “सेना बॉर्डर पर है, अब नींद भी VIP क्लास की आएगी।” भरोसे की नींद, फुल बॉडी स्ट्रेच के साथ गोरखपुर में लोग इत्मीनान से मोबाइल साइड में रखकर सोए हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है – “अब जो बम गिरेंगे, उनका हिसाब सुबह न्यूज़ में मिल जाएगा।” मिसाइलें और भरोसे का एयर स्ट्राइक बहराइच के रमज़ान भाई…

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