जब कर्बला की तपती रेत पर इंसानियत का इम्तिहान हुआ, तब सिर्फ इमाम हुसैन (अ.स.) ही नहीं, बल्कि उनकी बहन बीबी ज़ैनब (स.अ.) भी इतिहास रच रही थीं। ज़ैनब का किरदार सिर्फ एक बहन का नहीं, बल्कि हिम्मत, सब्र और आवाज़-ए-हक़ की पहचान है। 6 जुलाई की रात ‘तबाही’ लाएगी? ईरान का ट्रिपल अटैक प्लान नौहा: ” बीबी ज़ैनब ने जब कर्बला देखा…” बीबी ज़ैनब ने जब कर्बला देखा,आंखों से आंसू, दिल से खुदा देखा।भाई के लाशों पर खड़ी रही,ज़ालिमों का भी सामना बे-ख़ौफ़ किया। क़ैद में चादर छीनी गई,पर…
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ना शिया, ना सुन्नी, हिंदू या मुसलमान—हुसैन के दीवाने बस इंसान होते हैं
जब-जब दुनिया ने ज़ुल्म और अन्याय का क़हर देखा है, तब-तब करबला की सरज़मीं से उठी एक आवाज़ ने इंसानियत को राह दिखाई है। इमाम हुसैन का नाम सिर्फ किसी एक मज़हब या समुदाय की इबादत नहीं, बल्कि इंसाफ़, सच्चाई और हिम्मत की मिसाल है। वो जंग सिर्फ तलवारों की नहीं थी — वो जंग थी ज़मीर के ज़िंदा रहने की। आज जब मज़हबी पहचानें दीवारें खड़ी कर रही हैं, तब इमाम हुसैन की कुर्बानी हमें याद दिलाती है कि अल्लाह या भगवान से पहले, इंसान होना ज़रूरी है। हुसैन…
Read Moreवाह दत्त सुलतान, हिंदू का धर्म, मुसलमान का ईमान, आधा हिंदू आधा मुसलमान
हुसैनी ब्राह्मण एक अद्वितीय समुदाय है जो मुख्य रूप से मोहयल ब्राह्मणों से संबंधित है। यह समुदाय विशेष रूप से पंजाब, जम्मू, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। इनका इतिहास और संस्कृति हिंदू और इस्लामिक परंपराओं का मिश्रण है, जो भारतीय उपमहाद्वीप की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। वक्फ़ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिम भी! केंद्र बोला: धर्मनिरपेक्ष है प्रबंधन करबला युद्ध में भागीदारी: किवदंती के अनुसार, मोहयल ब्राह्मणों के दत्त उपवंश के एक सदस्य, रहब सिद्ध दत्त, ने इमाम हुसैन…
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